jaipur| बीएएसएफ के सहयोग से इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) और नेशनल पॉइज़न इंफर्मेशन सेंटर (एनपीआईसी), एम्स – नई दिल्ली से 250 डॉक्टरों और चिकित्सा विद्यार्थियों के लिए कंटीन्यूड मेडिकल एजुकेशन (सीएमई) पर एक विशेष वर्चुअल ट्रेनिंग कार्यक्रम आयोजित किया. इस प्रशिक्षण का उद्देश्य
निदान और उपचार प्रोटोकॉल पर एक पुनश्चर्या (रिफ्रेशर) प्रदान करना और अनुमोदित प्रोटोकॉल के अनुसार आकस्मिक कृषि-रासायनिक विषाक्तता की घटनाओं से निपटने में चिकित्सा समुदाय का सहयोग करना था| कृषि अपने अन्य संबद्ध क्षेत्रों के साथ, भारत में आजीविका का सबसे बड़ा स्रोत है. 70 प्रतिशत भारतीय ग्रामीण परिवार अभी भी अपनी आजीविका के लिए मुख्य रूप से खेती-बाड़ी पर ही निर्भर होते हैं और भारत में आकस्मिक कृषि-रासायनिक विषाक्तता की घटनाएं 100 मिलियन से अधिक किसानों के साथ होती हैं. प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों और स्थानीय अस्पतालों में डॉक्टर और चिकित्सा कर्मचारी ऐसी दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं का प्रबंधन करने और उससे निपटने के लिए सबसे पहले ज़िम्मेदार होते हैं. इसलिए, यह जरूरी है कि किसी भी घटना के पहले कुछ घंटों के भीतर इसकी सटीक पहचान, उचित निदान और शीघ्र उपचार किया जाए|
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