मुंबई। ई-कॉमर्स दिग्गज एमेजॉन (E-commerce giant amazon) को आज बड़ी राहत मिली, जब दिल्ली उच्च न्यायालय ने 3.4 अरब डॉलर (करीब 24,713 करोड़ रुपये) के फ्यचूर-रिलायंस सौदे (Futur-Reliance Deals) के खिलाफ आपात मध्यस्थता आदेश बरकरार रखने का फैसला सुनाया। अदालत ने फ्यूचर समूह (Future Group) को प्रधानमंत्री राहत कोष में 20 लाख रुपये जमा कराने का भी आदेश दिया।
मध्यस्थता आदेश के उल्लंघन के लिए जिम्मेदार
न्यायमूर्ति जेआर मिधा ने फ्यचूर रिटेल (future Retail), फ्यचूर कूपन्स (future Coupons) और किशोर बियाणी (Kishore Biyani) तथा अन्य को आपात मध्यस्थता आदेश के उल्लंघन के लिए जिम्मेदार ठहराया। अदालत ने बियाणी (Kishore Biyani) तथा अन्य को कारण बताओ नोटिस जारी कर पूछा है कि उन्हें हिरासत में क्यों नहीं लिया जाए। इसके साथ ही अदालत ने बियाणी (Kishore Biyani) की संपत्तियों को जब्त करने का भी निर्देश दिया और संपत्तियों से जुड़ा हलफनामा दायर करने को कहा।
रिलायंस के साथ सौदे पर आगे नहीं बढ़े फ्यचूर समूह
अदालत ने आपात मध्यस्थता आदेश को सही ठहराया। इसके साथ ही समूह को सक्षम प्राधिकरणों के पास जाने और फ्यचूर-रिलायंस सौदे (Futur-Reliance Deals) के बारे में मिली मंजूरियां वापस करने का निर्देश दिया गया है। फ्यचूर समूह (Future Group) को निर्देश दिया गया कि वह रिलायंस (Reliance) के साथ सौदे पर आगे नहीं बढ़े। बियाणी तथा अन्य को 28 अप्रैल को अदालत में हाजिर होने का भी आदेश दिया गया। इसके साथ ही अदालत ने कहा कि 25 अक्टूबर, 2020 के बाद रिलायंस (Reliance) संग सौदे में कोई कार्रवाई की गई हो तो उसके बारे में भी फ्यचूर समूह जानकारी मुहैया कराए।
भारत की रैंकिंग पर भी असर
मद्रास उच्च न्यायालय के वकील के नरसिम्हन ने कहा, ‘दिल्ली उच्च न्यायालय का आदेश संभवत: सर्वाधिक सख्त फैसलों में से एक है और इसका कारोबारी सुगमता में भारत की रैंकिंग पर भी असर पड़ सकता है।’ उन्होंने कहा कि यह आदेश न्यायिक व्यवस्था में भरोसे को और पुख्ता करेगा तथा कारोबारियों को अहसास होगा कि समझौतों या करार का मतलब होता है।