टीना सुराणा. ऑटो सेक्टर में इस समय स्थिति इतनी खराब चल रही है कि अब अनुमान लगाया जा रहा है कि बिना सरकार के सहारे यह उबर नहीं पाएगा. ऑटो सेक्टर में इस समय जो मंदी छाई हुई है, वह 15 साल में सबसे बड़ी है. बिक्री को लेकर जो आंकड़े सामने आए हैं उनमें खुदरा बिक्री होलसेल बिक्री से अधिक है. इससे यह संकेत साफ है कि कंपनियों को आगे भी उत्पादन में कटौती करनी पड़ेगी. इंडस्ट्री का मानना है कि सरकार की मदद के बिना ऑटो सेक्टर में ग्रोथ आने की उम्मीद नहीं है. अब नजर 5 जुलाई को पेश होने वाले आम बजट 2019-20 पर है. सोसायटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स (SIAM) के डायरेक्टर जनरल विष्णु माथुर ने फाइनेंशियल एक्सप्रेस हिंदी ऑनलाइन से बातचीत में कहा कि ऑटो सेक्टर की ग्रोथ के लिए यह जरूरी हो गया है कि सरकार सभी छूट खत्म कर कॉरपोरेट टैक्स घटाकर 18 फीसदी कर दे. पिछले महीने ऑटो सेक्टर की खुदरा बिक्री होलसेल बिक्री से बेहतर रही है जो यह संकेत दे रही है कि अब कंपनियों को अपने उत्पादन में कटौती करनी होगी. उन्होंने कहा कि ऑटो सेक्टर में यह 15 वर्षों का सबसे बड़ा स्लोडाउन है. उनका मानना है कि बिना सरकार की मदद के अब ऑटो सेक्टर में ग्रोथ की उम्मीद नहीं है. इससे पहले, उद्योग संगठन कंफेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्रीज (CII) भी सभी टैक्स छूट हटाकर कॉरपोरेट टैक्स 18 फीसदी करने की मांग कर चुका है. 2008-09 और 2011-12 में भी सरकार ने की थी मदद विष्णु माथुर ने बताया कि इस समय ऑटो सेक्टर में जिस तरह का माहौल है, उसमें सरकार को अब इसे आगे बढ़ाने के लिए कोशिश करनी होगी. उन्होंने बताया कि इससे पहले केंद्र सरकार ने भी ऑटो सेक्टर की मदद की है. 2008-09 और 2011-12 में केंद्र सरकार ने एक्साइज ड्यूटी में कटौती जैसी कई पॉलिसी से ऑटो सेक्टर को बढ़ाने में मदद किया था. उन्होंने सरकार से मांग की है कि सभी श्रेणियों की गाड़ियों को जीएसटी के 28 फीसदी के स्लैब से हटाकर 18 फीसदी किया जाना चाहिए. स्क्रैप पॉलिसी बनाने और R&D पर इंसेटिव्स बढ़ाने की मांग सिआम के डीजी ने ऑटो सेक्टर में ग्रोथ के लिए सरकार से स्क्रैप पॉलिसी लाने की मांग की है. इससे नई गाड़ियों के लिए मार्केट तैयार होगा. माथुर ने स्क्रैप पॉलिसी के बारे में बताया कि इसके तहत लोगों को पुरानी गाड़ियों के बदले में नई गाड़ी खरीदने पर इंसेटिव्स मिलेगा. इसके अलावा उन्होंने मांग की है कि सरकार को रिसर्च एंड डेवलपमेंट (R&D) के लिए वेटेड टैक्स डिडक्शन को फिर से 200 फीसदी किया जाना चाहिए. वर्तमान में यह पिछले साल से 150 फीसदी है और इसे अगले साल से 100 फीसदी किया जाना है. R&D पर वेटेड टैक्स डिडक्शन का अर्थ यह होता है कि जितना किसी कंपनी ने रिसर्च पर खर्च किया है, उसका 150 फीसदी (वर्तमान दर) उन्हें टैक्स छूट मिलेगा. इससे ऑटो सेक्टर की कंपनियां रिसर्च के लिए प्रोत्साहित होती हैं और नई तकनीक बाजार में आती हैं. माथुर का कहना है कि अगर इसे सरकारी प्रोत्साहन नहीं मिला तो कंपनियां का रिसर्च पर खर्च बहुत कम हो जाएगा. सभी प्रमुख वाहन कंपनियों की बिक्री में गिरावट पिछले महीने देश की सबसे वाहन कंपनी मारुति सुजुकी के यात्री गाड़ियों की बिक्री में 25.06 फीसदी की गिरावट हुई और उसकी सिर्फ 1,21,018 गाड़ियां बिकीं. उसकी प्रतिद्वंद्वी हुंडई मोटर इंडिया की भी बिक्री 5.57 फीसदी घटकर 42502 पर आ गई. मारुति और हुंडई के अलावा ऑटो सेक्टर की दिग्गज कंपनियों महिंद्रा एंड महिंद्रा और टीवीएस मोटर्स की भी गाड़ियों की बिक्री कम हुई है. दोपहिया वाहनों की बात करें तो हीरो मोटोकॉर्प की डोमेस्टिक बाइक सेल्स पिछले महीने 6.84 फीसदी गिरकर 2,05,721 यूनिट्स तक पहुंच गई. होंडा मोटरसाइकिल और स्कूटर इंडिया की कुल बिक्री 11.4 फीसदी गिरकर 459923 यूनिट्स तक पहुंच गई.
Tags auto sector news auto sector worst position news hindi news for auto industry hindi samachar news in hindi
Check Also
अब आम जन से उठने लगी मध्य प्रदेश में तीसरे दल की मांग – अतुल मलिकराम (राजनीतिक रणनीतिकार)
न्यू दिल्ली। तकरीबन आठ करोड़ की आबादी किसी एक दल के विचारों से मेल कैसे …