जयपुर। अप्रैल और मई महीने के बाद सब्जियों के भाव (vegetables) आसमान पर होते हैं. ऐसे में फरवरी और मार्च के महीने तक सब्जियों (vegetables) की बुवाई करके अच्छी कमाई की जा सकती हैं. इन महीनों में आप ककड़ी, करेला, लौकी समेत इन 10 सब्जियों (vegetables) की बुवाई कर सकते हैं. जिसके भाव आपको काफी अच्छे मिलेंगे. हालाँकि फरवरी और मार्च महीने में पानी की कमी हो जाती है. ऐसे में फव्वारा खेती आपके लिए फायदेमंद होगी.
1. खीरा (Cucumber Cultivation)
आप खीरे की बुवाई (Cucumber Cultivation) कर सकते हैं और अच्छी आमदनी ले सकते हैं. इसके लिए पहले खेत को अच्छे से तैयार कर लें. इसके बाद पंक्ति से पंक्ति की दूरी डेढ़ मीटर रखें और पौधे के पौधे से दूरी 1 मीटर की रखें. समय समय पर निराई-गुड़ाई के साथ हल्की सिंचाई करें.
2. ककड़ी (Cucumber farming)
फरवरी और मार्च का महीना ककड़ी की फसल (Cucumber farming) के लिए उपयुक्त होता है. यदि आप इसकी अगेती फसल लेना चाहते हैं तो जनवरी में थैलियों में बीज उगा लें जिसे बाद में खेत में लगा दें. एक एकड़ में ककड़ी लगाने के लिए आपको एक किलोग्राम बीज की जरुरत पड़ेगी. भूमि की तैयारी के लिए गोबर खाद डालें और अच्छी जुताई करें. इसके बाद 2 मीटर चौड़ी क्यारियां बनाएं और 60 सेंटीमीटर की दूरी पर पौधे लगाएं.
3. करेला (Bitter gourd cultivation)
कमाई के लिहाज से करेला की खेती (Bitter gourd cultivation) करना फायदेमंद होता है. इसके पौधे और बीज लगाकर आप खेती कर सकते हैं. ढाई से 5 मीटर की दूरी में 2 से 3 बीज बोने चाहिए. बीज को बोने से पहले रात को भिगो लेना चाहिए. अम्लीय भूमि में करेले की अच्छी पैदावार होती है. समय समय पर निराई-गुड़ाई और सिंचाई करें.
4. लौकी (gourd cultivation)
दोमट मिट्टी लौकी की खेती (gourd cultivation) के लिए उत्तम होती है. एक हेक्टेयर में लौकी के 4.5 किलोग्राम बीज लगते हैं. रात को बीज को भिगोकर 24 घंटे तकगीले टाट में लपेटकर रखें. इससे बीजों का अंकुरण जल्दी होता है. इसके लिए 2.5 से 3.5 मीटर की दूरी पर 50 सेंटीमीटर चौड़ी और 20 से 25 सेंटीमीटर गहरी नालियां बनाए. नाली के दोनों किनारों पर बीज लगाए. बीज को 4 सेंटीमीटर की गहराई तक लगाएं.
5. भिंडी (okra cultivation)
भिंडी ऐसी सब्जी है जिसकी खेती (okra cultivation) हर तरह की मिट्टी में हो जाती है. फरवरी मार्च में इसकी खेती आसानी से की जा सकती है. इसके लिए सबसे पहले खेत की दो तीन बार अच्छे से जुताई करें. इसके बाद कतार से कतार की दूरी 25 से 30 सेंटीमीटर रखें एवं 15 से 20 सेंटीमीटर की दूरी पर बीज बोएं. समय -समय पर निराई, गुड़ाई और सिंचाई करें.
6. तोरई (luffa cultivation)
तोरई की खेती (luffa cultivation) के लिए दोमट मिट्टी सर्वोत्तम मानी जाती है. नदी किनारे इसकी खेती अच्छी होती है. इसके लिए कतार से कतार की दूरी 1 से 1.20 मीटर रखें. वहीं पौधे से पौधे की दूरी 1 मीटर रखें. ध्यान रहे एक जगह पर दो बीजों की बुवाई करना चाहिए. तोरई का बीज ज्यादा गहरा नहीं लगाना चाहिए.
7. पालक (spinach cultivation)
पालक की खेती (spinach cultivation) के लिए बलुई दोमट और मटियार मिट्टी उत्तम होती. अम्लीय मिट्टी में पालक की खेती नहीं होती है. एक हेक्टेयर में पालक की खेती करने के लिए 25 से 30 किलोग्राम पालक के बीज की जरुरत पड़ती है. इसकी बुवाई के लिए पंक्ति से पंक्ति की दूरी 20 से 25 सेंटीमीटर रखी जाती है. जबकि पौधे से पौधे की दूरी 20 सेंटीमीटर होती है.
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