जयपुर. अमेरिका की दिग्गज कंपनी एपल एक लाख लड़कियों को कोडिंग सिखाएगी। इसके लिए कंपनी ने नॉन-प्रॉफिट संस्था गर्ल्स हू कोड से करार किया है। एपल कोडिंग में महिलाओं की हिस्सेदारी बढ़ाना चाहती है। अभी कोडिंग में पुरुषों का वर्चस्व है। कोडिंग का मतलब कंप्यूटर के लिए सॉफ्टेवयर बनाने से है। एपल और गर्ल्स हू कोड के साथ इस समझौते के तहत अमेरिका की 1 लाख लड़कियों को कोडिंग सिखाई जाएगी। एवरीवन कैन कोड (कोई भी कोडिंग कर सकता है) पाठ्यक्रम के तहत अमेरिका के सभी 50 प्रांतों में 90000 लड़कियों को प्रशिक्षित किया जाएगा। गर्ल्स हू कोड के क्लब फेसिलिटेटर एपल की आसान प्रोग्रामिंग भाषा स्विफ्ट सीख सकेंगे। एपल के लाखों एप स्विफ्ट से ही बनाए गए हैं। भारतीय मूल की अमेरिकी अधिवक्ता रेशमा सौजानी की अगुवाई में गर्ल्स हू कोड काम करती है। सॉफ्टवेयर प्रोग्रामर के रूप में अब तक पुरुषों का बर्चस्व रहा है। अब इस उद्योग की छवि बदलने की कोशिश की जा रही है। इससे टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में लैंगिक असमानता को कम करने में भी मदद मिलेगी। गर्ल्स हू कोड वास्तव में टेक्नोलॉजी और कम्प्यूटर साइंस के क्षेत्र में काम करने वाली महिलाओं को बढ़ावा देता है। एपल में पर्यावरण, नीति और सामाजिक उपक्रम की वीपी लीजा जैक्सन ने कहा कि महिलाओं ने भविष्य को आकार देने की हमारी योजनाओं का फायदा उठाया है। उन्होंने कहा हम गर्ल्स हू कोड के सहयोग से तकनीकी जगत में महिलाओं को बढ़ावा देना चाहते हैं। लड़कियों को भविष्य का डेवलपर और टेक्नोलॉजी इन्नोवेटर्स बनाने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। गर्ल्स हू कोड कार्यक्रम में भाग लेने वाली लड़कियों को मेड बाय वुमन सीरीज के 60 सत्र में भाग लेने की अनुमति होगी।इन महिलाओं में कलाकार, संगीतकार, फोटोग्राफर, एप डेवलपर्स, वैज्ञानिक और उद्यमी शामिल हो सकती हैं।आगामी 8 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर एप स्टोर उन एप को हाईलाइट करेगा जिन्हें महिलाओं द्वारा विकसित किया गया है बनाया गया है या उनकी अगुवाई में तैयार किया गया है। इसके साथ ही एपल म्यूजिक संगीत जगत की दिग्गज हस्तियों के बारे में भी बताएगी।