जयपुर। फ्यूचर समूह (Future Group) के संस्थापक एवं मुख्य कार्याधिकारी किशोर बियाणी (Kishore Biyani) ने शनिवार को वीडियो कॉलिंग ऐप जूम (Video calling app zoom) पर अपने शीर्ष प्रबंधकों और करीब 300 वरिष्ठ पेशेवरों से बीती बातें भूलकर भविष्य की ओर ध्यान देने की अपील की। रिलायंस रिटेल (Reliance Retail) को अपना खुदरा कारोबार, लॉजिस्टिक और थोक संपत्तियां बेचने से कुछ घंटे पहले बियाणी ने अपने सिपहसालारों के साथ यह ऑनलाइन बैठक की थी। बातचीत की जानकारी रखने वाले सूत्रों ने कहा कि पूरे कॉल के दौरान बियाणी शांत नजर आए। बियाणी ने शनिवार को ही अपना खुदरा कारोबार रिलायंस रिटेल (Reliance Retail) को 25,000 करोड़ रुपये में बेचने की घोषणा की है।
बाजी रिलायंस रिटेल के हाथ में
बियाणी को अमेरिकी की दिग्गज खुदरा कंपनी वॉलमार्ट (walmart) के संस्थापक सैम वाल्टन के जोड़ का बताया जा रहा था। बियाणी को यह बात मालूम थी कि रिलायंस रिटेल के साथ सौदे के बाद उनके कारोबारी जीवन के एक बड़े हिस्से का पटाक्षेप हो जाएगा। रियायंस रिटेल को खुदरा कारोबार बेचने के बाद वह संगठित खुदरा कारोबार से बाहर आ जाएंगे, जिनकी शुरुआत उन्होंने 30 वर्ष पहले की थी। अब बाजी पूरी तरह रिलायंस रिटेल के हाथ में है, जिसने देश के सबसे बड़ी खुदरा कंपनी के तौर पर अपना सिक्का जमा लिया है। बियाणी मोटे तौर पर अब एफएमसीजी और परिधान ब्रांड के विनिर्माण, वितरण एवं इन्हें मंगाने के कारोबार से जुड़े रहेंगे।
पैंटालूंस भी बेची थी आदित्य बिड़ला ग्रुप को
इस साल मार्च तक किसी को इस बात की भनक तक नहीं थी कि भारत के ‘रिटेल किंग’ (Retail King) कहलाने वाले बियाणी अपना खुदरा कारोबार बेच देंगे। मगर तेजी से बढ़ते कर्ज और कोविड-19 महामारी ने कहानी ही पलट दी। बियाणी पिछले कई साल से बढ़ते कर्ज से जूझ रहे थे। उसके कारण उन्होंने कई बार अपनी रणनीति बदली और पैंटालूंस (Pantaloons) उन्हें आदित्य बिड़ला ग्रुप (Aditya Birla Group) को बेचनी तक पड़ गई। विशेषज्ञ कह रहे हैं बियाणी की रुखसती के साथ ही देसी खुदरा बाजार से एक निडर उद्यमी चला गया है।
बियाणी की महत्त्वाकांक्षा और उनके संसाधनों में तालमेल नहीं था…
खुदरा कारोबार से जुड़ी एक कंपनी के मुखिया ने नाम सार्वजनिक नहीं करने की शर्त पर बताया, ‘किसी के अतीत और उसकी विरासत की समीक्षा निष्पक्ष रूप से की जानी चाहिए। बियाणी की महत्त्वाकांक्षा और उनके संसाधनों में तालमेल नहीं था। उन्होंने अपनी योजनाएं बढ़ाने के लिए कर्ज का सहारा लिया था और जब मामला हाथ से निकल गया तो कारोबार बेचने के अलावा कोई चारा नहीं रह गया।’ बीएस रिसर्च द्वारा संकलित आंकड़ों के अनुसार फ्यूचर समूह (Future Group) की सूचीबद्ध कंपनियों पर कुल कर्ज करीब 12,000 करोड़ रुपये था। प्रवर्तक समूह की इकाइयों पर भी 12,000 करोड़ रुपये कर्ज है। मगर कुछ सूत्रों का कहना है कि यह आंकड़ा इसका लगभग आधा है।
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