नई दिल्ली। कॉन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने फ्लिपकार्ट द्वारा बंगलौर हाई कोर्ट में सीसीआई की जांच रोकने के लिए एक याचिका दायर करने पर प्रतिक्रिया दिया है कि अमेजन के बाद पता चला है कि अब फ्लिपकार्ट ने भी बैंग्लोर उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की है, जिसमें भारत के प्रतिस्पर्धा आयोग द्वारा जांच के आदेश को रोकने का आग्रह किया है।
फ्लिपकार्ट के खिलाफ जांच पर भी लागू
उच्च न्यायालय का अमेजन के मामले में दिया गया आदेश फ्लिपकार्ट के खिलाफ जांच पर भी लागू होता है, फिर भी फ्लिपकार्ट द्वारा दाखिल याचिका इस तथ्य को बल देती है कि ये ई-कॉमर्स कंपनियां किसी भी सरकारी एजेंसियों द्वारा जांच से बहुत डरती हैं, जिससे यह साफ जाहिर होता है की निश्चित रूप से इन कंपनियों के बिजनेस मॉडल में कुछ नीति-विरोधी, कानून-विरोधी गतिविधियां शामिल हैं।
सरकारी एजेंसी की जांच से बचने का एक तरीका
खंडेलवाल ने कहा कि अमेजन और फ्लिपकार्ट दोनों का कहना है कि वे एफडीआई नीति और कानून का पालन कर रहे हैं और किसी भी नीति विरोधी गतिविधि में शामिल नहीं हैं, सरकार को भ्रमित करने के लिए एक खोखला बयान है। यदि वे एफडीआई नीति और अन्य संबंधित कानूनों के सभी प्रावधानों के पालन के बारे में सुनिश्चित हैं, तो वे जांच से क्यों कतरा रहे हैं। यह किसी भी सरकारी एजेंसी की जांच से बचने का एक तरीका है।
आयकर विभाग ने भी फ्लिपकार्ट के खिलाफ कार्यवाही शुरू की
खंडेलवाल ने कहा कि मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक आयकर विभाग ने भी कराधान के मुद्दों पर फ्लिपकार्ट के खिलाफ कार्यवाही शुरू की है। यदि प्रत्येक जांच एजेंसी या कराधान एजेंसी कार्यवाही शुरू कर रही है, तो यह माना जाना चाहिए कि दोनों कंपनियों का व्यावसायिक मॉडल निश्चित रूप से विभिन्न असमानताओं और अस्पष्टताओं से ग्रस्त है।