जयपुर। केंद्र सरकार ने खरीफ विपणन सीजन 2020-21 के लिए धान के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में 53 रुपये प्रति क्विंटल की मामूली बढ़ोतरी ही की है जबकि दोगुनी मजूदरी के साथ ही डीजल की कीमतों में हुई बढ़ोतरी से धान रोपाई की लागत ही 18 से 20 फीसदी तक बढ़ गई है। पिछले सात दिनों से डीजल की कीमतों में करीब चार रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी हो चुकी है जिससे खेत की जुताई से लेकर सिंचाई तक का खर्च बढ़ गया है।
महामारी के कारण प्रवासी मजदूरों के पलायन
कोरोना वायरस महामारी के कारण प्रवासी मजदूरों (migrant workers) के पलायन से परेशान धान किसानों (Farmer) की रही सही उम्मीद महंगे डीजल ने तोड़ दी है। पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में धान की रोपाई तो शुरू हो गई है, लेकिन प्रावासी मजूदरों के गांव चले जाने से धान की रोपाई के दोगुने दाम देने पड़ रहे हैं।
रोपाई के लिए मजदूर नहीं मिल रहे
हरियाणा में गोहाना के गांव पूठी निवासी किसान (Farmer) राजेश कुमार ने बताया कि उसने पांच एकड़ में धान की फसल लगाने के लिए पौध तैयार की हुई है लेकिन रोपाई के लिए मजदूर नहीं मिल रहे हैैं। उन्होंने बताया कि पिछले साल 2,800 से 3,000 रुपये प्रति एकड़ के हिसाब से धान की रोपाई करवाई थी, लेकिन इस बार स्थानीय मजदूर 4,500 से 5,000 रुपये प्रति एकड़ मांग रहे हैं। उन्होंने बताया कि प्रवासी मजदूर अपने गांव चले गए हैं, जबकि स्थानीय मजदूर ज्यादा पैसे मांग रहे हैं।
जुताई से लेकर सिंचाई तक बढ़ गया खर्च 10 से 12 फीसदी
पंजाब के लुधियाना के धान किसान (Farmer) धर्मेंद्र गिल ने बताया कि 10 जून से धान की रोपाई शुरू हो गई है लेकिन प्रवासी मजदूर अपने गांव चले गए हैं, जबकि स्थानीय मजूदर धान रोपाई के पिछले साल की तुलना में दोगुने दाम मांग रहे हैं। पिछले साल धान की रोपाई 2,200 से 2,500 रुपये प्रति एकड़ के हिसाब से कराई थी, जबकि इस बार मजदूर 4,800 से 5,000 रुपये प्रति एकड़ की दर से रोपाई कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि पिछले सात दिनों से डीजल की कीमतों में करीब 4 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी हो चुकी है, जिस कारण खेत की जुताई से लेकर सिंचाई तक का खर्च 10 से 12 फीसदी बढ़ तक गया है। उन्होंने बताया कि छह जून को डीजल का भाव 63.71 रुपये प्रति लीटर था, जोकि शनिवार को बढ़कर 67.28 रुपये प्रति लीटर हो गया।