नई दिल्ली। भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) ने सरकार को सुझाव दिए हैं कि देश के प्रमुख आर्थिक जिलों में चार मई से शुरू हो रही संवर्धित लॉकडाउन अवधि के दौरान अधिक ढील मुहैया कराएं। ‘अ स्ट्रैटजी नोट ऑन रिजम्पशन ऑफ इकॉनॉमिक एक्टिविटीज इन इंडस्ट्रियल एरियाज’ नामक एक रिपोर्ट में उद्योग चैंबर ने कहा है कि इन जिलों में गतिविधियों को प्राथमिकता देने की लागत, इन कारोबारों के बंद रहने से होने वाले नुकसान से बहुत कम होगी।
अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान
उद्योग चैंबर ने कहा है कि देश आर्थिक गतिविधियों के लिए धीरे-धीरे छूट देते हुए राष्ट्रीय स्तर पर इस महामरी से लड़ रहा है, ऐसे में भारी उद्योग और आर्थिक गतिविधि वाले जिलों को प्राथमिकता के आधार पर छूट देने की जरूरत है। ऐसा करके अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान होने से बचाया जा सकता है।
जिलों को रेड से ऑरेंज और फिर ग्रीन में बदलें
रणनीतिक नोट में कहा गया है, “सीआईआई सुझाव देता है कि देश के टॉप आर्थिक जिलों में औद्योगिक क्लस्टर्स और अकेली औद्योगिक इकाइयों, जो इंडस्ट्रियल एस्टेट, सेज या इंडस्ट्रियल टाउनशिप के रूप में नहीं घोषित हैं, उन्हें भी संचालित करने की अनुमति के क्रम में एक अतिरिक्त छूट दी जाए।”इस छूट के साथ जिलों को रेड से ऑरेंज और फिर ग्रीन में बदलने के लिए उपायों को भी सख्ती से लागू किए जाएं।
जिलों के आर्थिक योगदान को देखने की सलाह
सीआईआई ने लॉकडाउन जोन के वर्गीकरण के दौरान जिलों के आर्थिक योगदान को भी ध्यान में रखने की सलाह दी है। सरकार को सौंपी गई रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि उच्च आर्थिक गतिविधि वाले जिलों को, यहां तक की कंटेनमेंट जोन में भी, सभी औद्योगिक और कारोबारी संचालन को सर्वोच्च सुरक्षा प्रोटोकाल के साथ बहाल करने की अनुमति दी जानी चाहिए।