मुंबई। सुस्त आर्थिक हालात और फ्रैंकलिन टेम्पलटन मामले का असर इक्विटी योजनाओं पर भी हुआ है। अप्रैल में इक्विटी योजनाओं के लिए भी मुश्किलें बढ़ गईं और इनमें निवेश 47 प्रतिशत तक कम हो गया। वैसे यह अलग बात है कि 2009 के बाद से अप्रैल में शेयर बाजार में अब तक की सर्वाधिक उछाल देखी गई है।
फ्रैंकलिन टेम्पलटन के डेट योजनाएं बंद के बाद बढा असर
इक्विटी योजनाओं की बदहाली पर मिरे ऐसेट मैनेजमेंट कंपनी के मुख्य कार्याधिकारी एस मोहंती कहते हैं, ‘फ्रैंकलिन टेम्पलटन ने जब से अपनी छह डेट योजनाएं बंद करने का ऐलान किया है तब से म्युचुअल फंड निवेशकों का उत्साह ठंडा पड़ गया है।’आंकडों की मानें तो पिछले 12 महीनों के दौरान किसी एक महीने में आने वाली यह सबसे बड़ी गिरावट रही है। अप्रैल में इक्विटी योजनाओं में निवेश सिमट कर महज 6,212 करोड़ रुपये रह गया, जबकि मार्च में यह आंकडा 11,722 करोड़ रुपये रहा था।
म्युचुअल फंडों की डेट योजनओं में गिरावट जारी
मोहंती ने कहा कि लॉकडाउन की घोषणा मार्च के अंतिम सप्ताह में हुई थी, इसलिए इसका पूरा असर अप्रैल में पूरी तरह दिखा। उन्होंने कहा कि इससे निवेशकों के अंदर भय व्याप्त हो गया। म्युचुअल फंडों की डेट योजनओं में गिरावट बदस्तूर जारी है। क्रेडिट रिस्क फंडों से ज्यादातर निकासी (19,238 करोड़ रुपये) हुई और इस खंड के लिए अप्रैल पिछले 13 महीनोंं में सबसे बुरा गुजरा। मार्च के मुकाबले क्रेडिट रिस्क फंडों से 3 गुना से अधिक निकासी हुई।
क्रेडिट रिस्क फंडों में 55 प्रतिशत तक की गिरावट
वर्ष 2018 में आईएलऐंडएफएस का दम फूलने के बाद इस खंड की योजनाओं से रकम निकलना शुरू हो गया था लेकिन फ्रैंकलिन टेम्पलटन के अपनी छह डेट योजनाएं समेटने के बाद निकासी कई गुना बढ गई। पिछले वित्त वर्ष की शुरुआत में क्रेडिट रिस्क फंडों का संपत्ति आधार करीब 80,000 करोड़ रुपये था, जो अब कम होकर महज 35,222 करोड़ रुपये रह गया है। इस तरह इनमें 55 प्रतिशत तक की गिरावट आई है।
दूसरी श्रेणी की योजनाओं पर भी असर
मध्यम अवधि के फंडों से भी अप्रैल में 6,363 करोड़ रुपये की निकासी हो चुकी है। मॉर्निंगस्टार में निदेशक (फंड शोध) कौस्तुभ बेलापुरकर कहते हैं, ‘निवेशक लगातार क्रेडिट फंड योजनाओं से छिटक रहे हैं। हाल में कुछ डेट योजनाएं बंद होने के बाद निवेशकों में डर और बढ़ गया है, जिससे कुछ दूसरी श्रेणी की योजनाओं पर भी असर हुआ है। डेट श्रेणी में कम अवधि वाले फंडों से 6,841 करोड़ रुपये और अत्यंत कम अवधि यानी अल्टा-शार्ट ड्यूरेशन फंड से करीब 3,419 करोड़ रुपये निकले हैं।’