नई दिल्ली। वित्त मंत्रालय द्वारा पिछले कुछ महीनों में किए उपायों का असर भारतीय अर्थव्यवस्था पर दिखने लगा है। चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही (अक्टूबर-दिसंबर) में जीडीपी विकास दर मामूली बढ़कर 4.7 प्रतिशत रही है। इससे पहले, दूसरी तिमाही में जीडीपी विकास दर महज 4.5 प्रतिशत रही थी, जो साढ़े छह सालों का निचला स्तर था। वित्त वर्ष 2018-19 की तीसरी तिमाही में जीडीपी विकास दर 5.6 प्रतिशत रही थी। कई वित्तीय एजेंसियों ने तीसरी तिमाही में विकास दर घटकर 4 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया था।
पिछले वित्त वर्ष में आंकड़ा था 6.3 प्रतिशत
चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-दिसंबर की अवधि में भारतीय अर्थव्यवस्था 5.1 प्रतिशत की रफ्तार से आगे बढ़ी है, जबकि इसके पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि के लिए यह आंकड़ा 6.3 प्रतिशत था। विकास दर में बढ़ोतरी से संकेत मिलता है कि देश में जो सुस्ती थी वह खत्म हो चली है, लेकिन कोरोना वायरस के कारण वैश्विक विकास दर में कमी का खतरा अभी भी मंडरा रहा है। मौजूदा वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही यानी जुलाई-सितंबर तिमाही में जीडीपी ग्रोथ रेट गिरकर 4.5 प्रतिशत पर आ गई थी।
साढ़े 6 साल में सबसे धीमी विकास दर
पिछली 26 तिमाहियों यानी साढ़े 6 साल में यह भारतीय अर्थव्यवस्था की सबसे धीमी विकास दर थी। एक साल पहले यह 7 प्रतिशत थी, जबकि इसकी पिछली तिमाही में यह 5 प्रतिशत थी।