जयपुर. दमा की समस्या अगर एक बार किसी को लग जाए तो जल्दी से जाने का नाम ही नहीं लेती है। इस बिमारी में व्यक्ति का सांस लेना भी मुश्किल हो जाता है। ये बिमारी हो जाने पर आदमी मनपसंद के खान पान से तो दूर हो ही जाता है। वहीं उसका सांस लेना भी मुश्किल हो जाता है। लेकिन यहां बताए जा रहे आयुर्वेदिक उपाय को करने से आप अस्थमा की बिमारी से छुटकारा पा सकते है. हमारे घर की रसोई में आसानी से मिल जाने वाली इस वस्तु का नाम है कलौंजी जो अस्थामा की बिमारी का रामबाण इलाज है। आयुर्वेद के अनुसार कलौजी का उपयोग सिर्फ किचन तक ही नहीं है। ओषधि के रूप में भी इसका उपयोग किया जा सकता है।
अगर आप अस्थमा जैसी खतरनाक बिमारी पर काबू पाना चाहते है तो कलौंजी का प्रयोग कर सकते है। इसमें कई तरह के पोषक तत्व पाए जाते है। वहीं इसमे वसीय अम्ल भी होते है जैसे लिनोलिक अम्ल, एल्फा लिनोलेनिक अम्ल और मूफा । इसमें पाया जाने वाला एंटी हिस्टेमीन गुण सांस नली की सूजन को कम कर अस्थमा से राहत देता है। साथ ही कलौंजी में एंटी ऑक्सीडेंटर भी मौजूद होता है जो केंसर जैसी बिमारियों से बचाता है। शोध में पाया गया कि कलौंजी में मौजूद घटक थाइमोक्विनोन में अस्थमा पर काबू पाने की शक्ति होती है। शोधकर्ताओं ने पाया कि इसके बीज अस्थमा रोगी के फेफड़ो को अंदर से मजबूत बनाते है। और उनकी सूजन को कम कर स्वस्थ होनें में मदद करता है। इसमें पाए जाने वाले कुछ तत्व दर्द को कम करने व सूजन को कम करने में सहायक होते है। वहीं अस्थमा के अलावा यह साइनसाइटिस, स्ट्रेस ब्रीथींग और छाती पर बनने वाले दबाव पर भी प्रभावी होती है।
ऐसे करे कलौंजी का उपयोग
कलौंजी के बीजों को साफ करके अच्छे से पीसकर दूध में मिलाकर रोगी को पिलाए.।
अस्थमा पर काबू के लिए कलौंजी के बीजों का तेल निकालले और उसे शहद में मिलाकर इसका इस्तेमाल कर सकते है। इससे आपको अस्थमा में बहुत फायदा मिलेगा।
कलौंजी के बीजो का फायदा लेने के लिए आप इसे दाल सब्जी व चपाती में उपयोग कर सकते है।