शुक्रवार, नवंबर 22 2024 | 03:53:29 PM
Breaking News
Home / एक्सपर्ट व्यू / काश! जीएसटी की पटरी भी बुलेट के समान होती: अतुल मलिकराम

काश! जीएसटी की पटरी भी बुलेट के समान होती: अतुल मलिकराम

नई दिल्ली| जापान की बुलेट को भारत की पटरी पर उतारने की तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैं। मुंबई और अहमदाबाद के बीच चलने वाली हाईस्पीड बुलेट ट्रेन के निर्माण के लिए डिब्बे निर्माण से लेकर टेक्नॉलजी तक के लिए भारत, अपने पक्के दोस्त जापान पर आश्रित है। अतुल मलिकराम ने कहा कि बुलेट से याद आया, अरे हां! जीएसटी। वही जीएसटी, जिसने पूरे हिन्दूस्तान की कमर तोड़कर रख दी है। 1 जुलाई 2017 को जीएसटी लागू की गई थी, लेकिन अभी भी ये यहां के रहवासियों के लिए माइंड रिडल के समान बनी हुई है।

फ्रांस ने 1954 में ही जीएसटी लागू कर दी थी

हालांकि टैक्स चोरी रोकने के लिए फ्रांस ने 1954 में ही जीएसटी लागू कर दी थी। जिसके बाद करीब 160 देशो ने इसे अपनाया है। न्यूजीलैंड की जीएसटी, आदर्श जीएसटी मानी जाती है। वहीं भारत की जीएसटी, एशिया के अन्य समकक्ष देशो की जीएसटी में जमीन-आसमान का अंतर है। क्या आप जानते हैं कि भारत का जीएसटी मॉडल, कनाडा से लिया गया है। इतना ही नहीं बल्कि भारत में कनाडा की तरह ड्यूल जीएसटी लागू है। अगर भारत में जीएसटी मॉडल लाने से पहले जिम्मेदार, कनाडा की राज्यव्यवस्था का अध्ययन करते, उन मापकों को ध्यान में रखते जो जनजीवन एवं व्यवस्थाओं को प्रभावित करती हैं।

जीएसटी की जटिलता को और भी जटिल बनती चली जा रही

देश की राज्य व्यवस्थाओं की चुनौतियां ही जीएसटी की जटिलता को और भी जटिल बनती चली जा रही हैं। ये चुनौतियां वो खराब पटरियां हैं, जो जीएसटी रूपी बुलेट ट्रेन को पटरी से उतारे जा रही हैं, और उसमे सवार यात्रियों यानी टैक्स भुगतानकर्ताओ को चोट पंहुचा रही हैं। जिस तरह सरकार बुलेट सफल बनाने में लगी है, अगर उसी तरह उसे जीएसटी समझाने एवं उसे सरल बनाने का प्रयास करना चाहिए ताकि टैक्स भुगतानकर्ता को चोट ना लगे।

Check Also

अब आम जन से उठने लगी मध्य प्रदेश में तीसरे दल की मांग – अतुल मलिकराम (राजनीतिक रणनीतिकार)

न्यू दिल्ली। तकरीबन आठ करोड़ की आबादी किसी एक दल के विचारों से मेल कैसे …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *