नई दिल्ली। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा पूर्व प्रधानमंत्रीमनमोहन सिंह और पूर्व आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन के वक्त सरकारी बैंकों का सबसे खराब दौर चला था। न्यूयॉर्क के कोलंबिया विश्वविद्यालय में एक व्याख्यान देते हुए वित्त मंत्री ने यह बात कही।विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ इंटरनेशनल एंड पब्लिक अफेयर्स द्वारा आयोजित इस व्याख्यान में बोलते हुए सीतारमण ने कहा सरकारी बैंकों को जीवन रेखा देना उनकी सबसे बड़ी जिम्मेदारी है।
करती हूं राजन, मनमोहन की इज्जत
वित्त मंत्री ने कहा कि मैं रघुराम राजन की एक महान शिक्षक के तौर पर और पूर्व प्रधानमंत्री की बड़ी इज्जत करती हूं। उन्होंने ऐसे वक्त में आरबीआई की जिम्मेदारी संभाली थी, जब भारतीय अर्थव्यवस्था अपने सबसे खुशहाल दौर में थी। लेकिन राजन और मनमोहन सिंह के वक्त ही बैंक केवल नेताओं का एक फोन आने के बाद लोन दे देते थे। उस लोन की भरपाई आज तक नहीं हो पाई है, जिसके कारण सरकार को बैंकों में पैसा देना पड़ रहा है, ताकि वो सही ढंग से चल सके। उस वक्त जो हो रहा था, उसकी जानकारी सिवाय उनके किसी को भी नहीं थी।
क्यों बैंकों में हुए घोटाले आ रहे हैं सामने
वित्त मंत्री ने कहा कि राजन अब बैंकों की संपत्ति का मूल्यांकन कर रहे हैं, लेकिन हमें इस बात को भी समझना चाहिए, इन घोटालों के बारे में अब क्यों पता चल रहा है। यह कैसे शुरू हुआ इसके बारे में भी बोलना चाहिए। वित्त मंत्री ने आगे कहा कि, “वैसे तो अर्थशास्त्री केवल आज के समय की, या फिर पहले से जो चला आ रहा था उसके बारे में बात करते हैं। लेकिन मैं राजन से इसका उत्तर जानना चाहूंगी जब वो आरबीआई के गवर्नर थे, तब उन्होंने भारतीय बैंकों के लिए क्या किया। आज के समय में बैंकों की खराब वित्तीय हालत को सुधारने और उसे जीवन रेखा देने के लिए वित्त मंत्री के तौर पर यह मेरी नैतिक जिम्मेदारी है। बैंकों को जो इमरजेंसी जैसी हालत हुई है वो एक पखवाड़े में नहीं आती है।”