नई दिल्ली। वित्त वर्ष 2018-19 के लिए आयकर रिटर्न भरने की अंतिम तारीख 31 august है. नौकरीपेशा लोगों को उनके दफ्तर से फॉर्म 16 मिलने भी शुरू हो गए हैं. ऐसे में यह जान लेना जरूरी है कि इस साल का आयकर रिटर्न भरते समय वे कौन सी चीजें होंगी जो इसी साल से विभाग की ओर से लाई गई हैं. मसलन, फॉर्म के प्रारूप में बदलाव, कौन सी जानकारियां ज्यादा देनी होंगी आदि.
चार्टर्ड एकाउंटेंट vijay garg कहते हैं, ‘’इस साल कई नए बदलाव आए हैं जो न केवल व्यक्तिगत करदाता बल्कि सभी तरह के करदाताओं के लिए जानना जरूरी हैं. इन बदलावों के पीछे सरकार का उद्देश्य करदाताओं की आय और कर से जुड़ी ज्यादा से ज्यादा जानकारियां जुटाना हैं, जिससे कर चोरी पर लगाम लगाई जा सके.’’
इस साल हुए ये नए बदलाव
इस वर्ष जब कोई करदाता अपना इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने बैठेगा तो उसे सबसे पहले अपने पैन नंबर को आधार से लिंक करना जरूरी होगा. बीते वर्ष तक केवल फॉर्म में इसकी जानकारी देनी जरूरी होती थी. लेकिन इस साल से पैन और आधार लिंक करने की अनिवार्यता है.
- – ऐसे करदाता जिनकी सालाना आय पांच लाख रुपए तक है और कोई इनकम टैक्स रिफंड क्लेम भी नहीं है, वे अब ऑफलाइन रिटर्न फाइल नहीं कर सकते. उनके लिए ऑनलाइन रिटर्न फाइल करने की अनिवार्यता है जो पिछले साल तक नहीं थी. पिछले साल तक करदाता पेपर के जरिए भी अपना रिटर्न फाइल कर सकते थे.
- आयकर रिटर्न फॉर्म में पेंशनर के नाम से नया कॉलम जोड़ा गया है. ऐसे करदाता जिनको पेंशन के रूप में आय प्राप्त होती है उन्हें आय के स्रोत में स्पष्ट करना होगा.
- अन्य स्रोत से प्राप्त आय का खुलासा करना भी इस साल से जरूरी होगी. अब तक अन्य स्रोत से प्राप्त आय की रकम लिखी जाती थी. लेकिन इस वर्ष से यह बताना होगा कि आय का स्रोत क्या है?
- – आयकर फॉर्म में इस साल दो नए सेक्शन 80टीटीबी और 80जीजीए शामिल किए गए हैं. 80टीटीबी सीनियर सिटीजन को एफडी पर मिलने वाले ब्याज पर कर लाभ से संबंधित है. वहीं 80जीजीए का संबंध डोनेशन के लिए दी गई राशि पर मिलने वाले ब्याज से है.
- – इस साल से प्रॉपर्टी बेचने पर होने वाले कैपिटल गेन के संबंध में ज्यादा जानकारी देनी होगी. मसलन, खरीदार का नाम, पैन नंबर, प्रॉपर्टी का पूरा पता, बिक्री की राशि, प्रॉपर्टी में खरीदार की हिस्सेदारी आदि.
- – ऐसे करदाता जिसकी कृषि से आय पांच लाख से ज्यादा है उनसे पहली बार डिटेल मांगी गई हैं. मांगी गई जानकारी में खेती वाली जमीन का पता, जमीन की पैमाइश, जमीन का मालिकाना हक या बटाई पर समेत विभिन्न जानकारियां देनी होंगी.
- – अगर किसी करदाता ने वित्त वर्ष के दौरान दान के रूप में राशि दी है तो उसे बताना होगा कि कितनी राशि नकद में और किनी अन्य माध्यम से दी गई है. ऐसा इसलिए क्योंकि नकद में दो हजार से ज्यादा दान नहीं दिया जा सकता है और कर लाभ की सीमा भी 2000 रुपए ही है.
- – अगर कोई करदाता इनकम टैक्स रिफंड की राशि जल्द पाना चाहता है तो उसे ऐसे खाते को रिटर्न भरते समय दर्ज करना होगा जो पहले से वैध हो यानी आयकर विभाग की किताबों में दर्ज हो और विभाग के साथ उस खाते में लेन-देन किया जा चुका हो.
- – वित्त वर्ष के दौरान अगर किसी आय पर टीडीसी कटा है तो क्लेम करते समय यह बताना होगा कि आय को किन मद के अंतर्गत दर्शाया गया है. यह वही आय होनी चाहिए जिस पर कटा टैक्स करदाता क्लेम कर रहा है.
- – ऐसे व्यक्तिगत करदाता जो किसी कंपनी में निदेशक है तो वे ITR 1 या 4 नहीं भर सकते हैं. उनके लिए आइटीआर 2 भरना जरूरी होगा.
- – इसके अलावा आइटीआर 4 भरने वाले करदाताओं के लिए सभी जीएसटी नंबर टर्नओवर के साथ आयकर भरते समय दर्ज करने जरूरी होंगे. तो इस साल आयकर रिटर्न फाइल करते समय रखें इस बातों का ख्याल. समय से आयकर रिटर्न न भरने पर आपको पेनल्टी का भी सामना करना पड़ेगा. ऐसे में समय रहते अपना रिटर्न भरना न भूलें.