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जैन परंपरा की पहली महिला आचार्य का राजगीर में हो रहा चातुर्मास

patna. cp reporter

जहां तीर्थंकर महावीर ने 14 वर्षावास किए उसी राजगीर में इसबार आचार्यश्री चंदना जी चातुर्मास करेंगी। वे 27 जुलाई को राजगीर पहुंचेंगी। आचार्यश्री चंदना जी के अथक प्रयासों से ही राजगीर में आज से 46 वर्ष पहले वीरायतन की स्थापना हुई। आज आचार्यश्री चंदना जी, वीरायतन और राजगीर सब एक दूसरे पर्याय लगते हैं। 1973 में राजगीर में किसी के लिए एक रात बिताना कठिन था। कोई सुविधा नहीं थी। पिछड़ा इलाका। चोर-उचक्कों का भय भी। लेकिन इस विपरीत स्थिति में भी आचार्यश्री ने वहां एक नए तरह का विशाल मंदिर खड़ा किया। यह मंदिर है सेवा का। वीरायतन में 1916 तक लगभग 17 लाख लोगों की आंखों का इलाज किया गया। यहां हर साल 65 से 75 हजार मरीजों का इलाज किया जाता है। आचार्यश्री को लोग श्रद्धा से श्री ताई मां या श्री ताई महाराज भी कहते हैं। वे जैन परंपरा की पहली महिला आचार्य हैं। उन्हेें यह सम्मान राष्ट्र संत अमरमुनि जी महाराज ने 26 जनवरी, 1987 को संघ की उपस्थिति दिया। अमरमुनि जी महाराज जैन धर्म को बदलते समय, समाज की बदलती जरूरत को ध्यान में रखकर नई दिशा देने के लिए जाने जाते हैं।

सेवा ही धर्म
आचार्यश्री चंदना जी ने जैन अध्यात्म की दुनिया में नया अध्याय जोड़ा है। 14 वर्ष की उम्र में दीक्षा ली। जैन साहित्य का गहरा अध्ययन किया। 12 वर्षों तक मौन रहीं। उन्होंने कहा कि जो संत दूसरों को मानवसेवा करने कहते हैं, वे खुद मानवसेवा क्यों नहीं कर सकते। वे दृढ़ता से विश्वास करती हैं कि धर्म का काम मोक्ष दिलाना नहीं, बल्कि बीमार आदमी के चेहरे पर मुस्कान लाना है। इस चिंतन के बाद ही वीरायन का जन्म हुआ। वे राजगीर में पहुंच गईं और सेवा का विशाल मंदिर बनाया। गुजरात में भूकंप आया, तो कच्छ पहुंच गईं। वहां भी वीरायतन की स्थापना की। आज वीरायतन कई राज्यों के साथ ही नेपाल, केन्या और अमेरिका में भी काम कर रहा है। वीरायतन में वीर भगवान महावीर के लिए और आयतन पवित्र स्थल के लिए उपयुक्त हुआ है। वीरायतन के तीन सैद्धांतिक स्तंभ हैं- सेवा, शिक्षा और साधना। श्रीताई मां और वीरायतन ने अनेक संघों, संगठनों को प्रेरित किया है। पटना दादाबाड़ी में चल रहे अस्पताल ने सेवा के 25 वर्ष पूरे किए हैं। राजगीर से साध्वी रोहिणी ने खुद आकर प्रदीप जैन और मंदिर समिति को बधाई दी। पटना स्थित मारवाड़ी हेल्थ सोसाइटी भी सेवा को ही पूजा मानकर अस्पताल चला रही है। सोसाइटी के नेतृत्व में 31 प्रतिष्ठित लोग बड़े अस्पताल के निर्माण के लिए काम कर रहे  है।

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