जीआईआई को संयुक्त रूप से कार्नेल विश्वविद्यालय, आईएनएसईएडी और संयुक्त राष्ट्रसंघ की एजेंसी विश्व बौद्घिक संपदा संगठन (डब्ल्यूआईपीओ) द्वारा तैयार किया जाता है। इसमें 126 देशों का आकलन 80 संकेतकों के आधार पर किया जाता है। डब्ल्यूआईपीओ के अनुसार जीआईआई संबंधित देशों को दीर्घावधि में विकास को बढ़ावा देने, उत्पादकता बढ़ाने और नवोन्मेष के माध्यम से रोजगार सृजन के लिए सार्वजनिक नीतियों में बदलाव करने में मदद करता है। इस सूचकांक में भारत ने 2015 के स्तर से 24 पायदान की छलांग लगाते हुए 2018 में 57वां स्थान हासिल किया था। लेकिन 2019 में सरकार ने औद्योगिक संवद्र्घन एवं आंतरिक व्यापार विभाग (डीपीआईआईटी) के साथ मिलकर लंबी छलांग लगाने की तैयारी की है। सूत्रों ने कहा कि इसने राज्यों की रैंकिंग के लिए अपना नवोनमेषी सूचकांक भी लाया है और नवोन्मेष के लिए कार्यबल का गठन किया है। इसके साथ ही कारोबारी सुगमता बढ़ाने और स्टार्टअप इंडिया जैसी योजनाओं से भी नवोन्मेष में तेजी लाने पर जोर दिया गया है। डीपीआईआईटी के सचिव रमेश अभिषेक ने कहा, ‘हमारा अंतिम लक्ष्य सभी वैश्विक सूचकांकों में शीर्ष 10 रैंकिंग में शुमार होना है।’ डब्ल्यूआईपीओ ने भारत में बौद्घिक संपदा अधिकार के मूल्यांकन एवं उसकी मंजूरी में लगने वाला समय घटाने के लिए नवोन्मेष को बढ़ावा देने के लिए नीतियों में सुधार की भी सराहना की। अभिषेक ने कहा कि डीपीआईआईटी द्वारा 18 महीने की समयसीमा तय करने के बाद लंबित पेटेंट आवेदनों की संख्या घटकर करीब आधी रह गई है। उन्होंने कहा, ‘5 साल में हमारा लक्ष्य इस अवधि को घटाकर 6 महीना करने की है।’ इसी तरह ट्रेडमार्क के मूल्यांकन के लिए आवेदनों को 13 महीने की जगह अब एक महीने में ही निपटाया जा रहा है।
डब्ल्यूआईपीओ के महानिदेशक फ्रांसिस गर्रे ने कहा, ‘हर साल स्नातक करने वाले छात्रों की संख्या, विश्वविद्यालयों और प्रकाशनों की गुणवत्ता, सूचना एवं संचार तकनीक का निर्यात तथा अर्थव्यवस्था में निवेश एवं रचनात्मक वस्तुओं के निर्यात से भारत को मदद मिली है।’ विशेषज्ञों के अनुसार, जीआईआई रैंक के साथ ही देश में कारोबारी सुगमता पर दुनिया भर के निवेशकों की करीबी नजर रहती है। हालांकि सरकार के अधिकारियों ने ताजा रिपोर्ट में भारत की रैंकिंग की सटीक जानकारी देने से इनकार कर दिया।