नई दिल्ली. घरेलू शेयर बाजार में तेजी का दौर जारी है। बाजार को उम्मीद है कि नरेंद्र मोदी की अनुवाई में एक बार फिर एनडीए की सरकार बनेगी। लेकिन मार्केट एक्सपर्ट निलेश शाह की मानें तो बाजार के अंदाजा पर आंख मूंद कर भरोसा करना ठीक नहीं है। चुनावों के नतीजे भांपने में शेयर बाजार का रिकॉर्ड निराशाजनक रहा है। कोटक म्यूचुअ फंड के प्रबंधक निदेशक निलेश शाह ने कहा बाजार 2004 के नतीजों को नहीं भांप पाया था। 2009 में यह दोबारा फेल हुआ। 2014 में बाजार का अनुमान सही साबित हुआ। दरअसल बाजार चुनावी नतीजों का भांप पाने में बहुत अच्छा नहीं रहा है। शाह ने कहा कि छोटी अवधि में बाजार को गति देने में चुनावी नतीजों की भूमिका काफी अहम रहेगी। उन्होंने कहा बाजार को ऐसी स्थिर सरकार की उम्मीद है जो आर्थिक सुधारों पर जोर देगी। यदि ऐसी सरकार आई तो बाजार सपोर्ट करता रहेगा। उन्होंने बाजार के लिहाज से चुनावों को अत्यधिक महत्व देने से भी आगाह किया। शाह ने कहा सिर्फ नतीजों के दिन ही यह महत्व रखता है। इसके बाद सरकार का काम बोलता है। सरकारें और गठबंधन अलग होते हैं। इस वजह से बाजार चढ़ता है। शाह का मानना है कि लिक्विडिटी में कमी, ब्याज की ऊंची दरों और कर्ज में देरी के चलते मांग में कमी आई है। उन्होंने कहा उम्मीद है कि अप्रैल की मुद्रा समीक्षा बैठक में भारतीय रिजर्व बैंक ब्याज दरें कम करेगा। इससे मुनाफा क्षमता बेहतर होगी। शाह के अनुसार लिक्विडिटी में सुधार और संभावित ब्याज दरों में कटौती से मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों को भी फायदा मिलेगा। उन्होंने कहा यदि लिक्विडिटी बेहतर हुई तो वित्तीय कंपनियों का प्रदर्शन बढ़िया रहेगा बाजार में कोई बड़ा संकट नजर नहीं आ रहा है।
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