नई दिल्ली. इस साल भी मानसून में झमाझम बारिश की उम्मीद है। भारतीय मौसम विभाग के महानिदेशक के जे रमेश ने कहा कि अगर अल नीनो की स्थितियां नहीं बनीं तो इस बार पिछले साल के मुकाबले मानसून में अच्छी बारिश होने की संभावना है। भारत दुनिया की तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था है। मानसून की अच्छी बारिश से इसकी अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलती है। भारत की अर्थव्यवस्था 2.6 लाख करोड़ डॉलर की है। यहां खेती-किसानी से जुड़े लोगों के लिए मानसून की बारिश बहुत मायने रखती है। आमतौर पर 1 जून के आसपास केरल के रास्ते दक्षिण पश्चिमी मानसून देश में प्रवेश करता है। 4 महीने की बरसात के बाद यानी सितंबर के अंत में राजस्थान के रास्ते मानसून की वापसी होती है।
50 फीसदी खेती पर होता है मानसून का असर
भारत के 26 करोड़ किसान धान, गन्ना, मक्का, कपास और सोयाबीन जैसी कई फसलों की बुआई के लिए मानसून की बारिश का इंतजार करते हैं। इसकी सबसेबड़ी वजह यह है कि देश की खेती लायक करीब 50 फीसदी जमीन के लिए सिंचाई की सुविधाओं की कमी है। कृषि उत्पादन का भारत की अर्थव्यवस्था में सिर्फ 14 फीसदी की भागीदारी है। हालांकि यह सेक्टर देश की करीब 65 करोड़ से अधिक आबादी के जीविकोपार्जन का स्रोत है। भारत की आबादी करीब 130 करोड़ है। यानी करीब 50 फीसदी लोगों का गुजर-बसर खेती-किसानों से होता है। मौसम विज्ञान विभाग के महानिदेशक के जे रमेश ने बताया अभी अल नीनो के पैटर्न के बारे में बात करना जल्दबाजी होगी। इस साल शानदार बारिश की उम्मीद है। हम जानते हैं कि व्यावहारिक रूप से कोई भी अल नीनो की मजबूती के बारे में भविष्यवाणी नहीं कर सकता।