मुंबई . भारत का स्वर्ण आयात लगातार पांचवें महीने में गिरकर मई में 48 टन पर पहुंच गया। कीमती धातु की सलाहकार जीएफएमएस और बैंक व्यापारियों के फौरी आंकड़े बताते हैं कि स्थानीय दाम उछालकर 21 महीने के उच्च स्तर के पास पहुंचने से खुदरा खरीद में कटौती के कारण ऐसा हुआ है। विश्व के इस दूसरे सबसे बड़े उपभोक्ता की खरीद में पिछले वर्ष की तुलना में 60 प्रतिशत की गिरावट आने से वैश्विक दामों पर दबाव पड़ सकता है, जो कि अब भी मध्य दिसंबर से 4.5 प्रतिशत अधिक हैं। सोने के कम आयात से भारत को अपना व्यापार घाटा कम करने में भी मदद मिल सकती है। थॉमसन रॉयटर्स के अनुभाग – जीएफएमएस के वरिष्ठï विश्लेषक सुधीश नांबियथ ने बुधवार को कहा कि रुपये का मूल्य कम होने के कारण स्थानीय दामों में उछाल आई है और इसने खुदरा खरीद को कम कर दिया है।
2018 में स्थानीय सोने के दाम अब तक पांच प्रतिशत से अधिक चढ़ चुके हैं।
भारत ने मई 2017 में 119.3 टन सोने का आयात किया था, क्योंकि जौहरियों ने स्टॉक पूरा करने के लिए और 1 जुलाई, 2017 से नए राष्ट्रीय बिक्री कर लागू होने से पहले स्टॉक जमा करने के लिए खरीद बढ़ा दी थी। जीएफएमएस के द्वारा एकत्रित किए गए आंकड़े बताते हैं कि 2018 के पहले पांच महीनों में देश का स्वर्ण आयात पिछले साल की तुलना में 39.4 प्रतिशत गिरकर 274.2 टन पर आ गया। एक निजी बैंक के मुंबई स्थित सराफा व्यापारी ने कहा कि ‘अधिक मास’ की वजह से मई में विवाह के लिए शुभ दिन बहुत कम थे। इससे विवाह की खरीद को नुकसान पहुंचा। अधिक मास हिंदू कैलेंडर में एक अतिरिक्त महीना होता है जिसकी शुरुआत 16 मई को होती है। इसे अशुभ माना जाता है और लोग इस
दौरान विवाह, सोने या संपत्ति की खरीदारी से बचते हैं।