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जानवर कौन ? (जैन कहानियां)

 जयपुर. मधु एक बकरी थी जो की माँ बनने वाली थी। माँ बनने से पहले ही मधू ने भगवान् से दुआएं मांगने शुरू कर दी। कि हे भगवान् मुझे बेटी देना बेटा नही। पर किस्मत को ये मन्जूर ना था मधू ने एक बकरे को जन्म दिया उसे देखते ही मधू रोने लगी। साथ की बकरियां मधू के रोने की वजह जानती थी पर क्या कहती। माँ चुप हो गई और अपने बच्चे को चाटने लगी। दिन बीत ते चले गए और माँ के दिल मे अपने बच्चे के लिए प्यार उमड़ता चला गया। धीरे-धीरे माँ अपने बेटे में सारी दुनियाँ को भूल गई और भूल गई भविष्य की उस सच्चाई को जो एक दिन सच होनी थी। मधू रोज अपने बच्चे को चाट कर दिन की शुरूआत करती और उसकी रात बच्चे से चिपक कर सो कर ही होती। एक दिन बकरी के मालिक के घर बेटे जन्म लिया। घर में आते मेहमानो और पड़ोसियों की भीड़ देख मधू बकरी ने साथी बकरी से पूछा बहन क्या हुआ आज बहुत भीड़ है इनके घर पर ये सुन साथी बकरी ने कहा की अरे हमारे मालिक के घर बेटा हुआ है इसलिए चहल पहल है बकरी मालिक के लिए बहुत खुश हुई आैर उसके बेटे को बहुत दुआएं दी। फिर मधू अपने बच्चे से चिपक कर सो गई। मधू सो ही रही थी कि तभी उसके पास एक आदमी आया सारी बकरियां डर कर सिमट गई मधू ने भी अपने बच्चे को खुद से चिपका लिया। तभी उस आदमी ने मधू के बेटे को पकड़ लिया और ले जाने लगा। मधू बहुत चिल्लाई पर उसकी एक ना सुनी गई बच्चे को बकरियां जहाँ बंधी थी उसके सामने वाले कमरे में ले जाया गया। बच्चा बहुत चिल्ला रहा था बुला रहा था अपनी माँ को मधू भी रस्सी को खोलने के लिए पूरे पूरे पाँव रगड़ दिए पर रस्सी ना खुली। थोडी देर तक बच्चा चिल्लाया पर उसके बाद बच्चा चुप हो गया अब उसकी आवाज नही आ रही थी। मधू जान चुकी थी केे बच्चे के साथ क्या हुआ है पर वह फिर भी अपने बच्चे के लिए अँख बंद कर दुआएं मांगती रही। पर अब देर हो चुकी थी बेटे का सर धड़ से अलग कर दिया गया था। बेटे का सर मां के सामने पड़ा था आज भी बेटे की नजर माँ की तरफ थी पर आज वह नजरे पथरा चुकी थी बेटे का मुंह आज भी खुला था पर उसके मुंह से आज माँ के लिए पुकार नही निकल रही थी बेटे का कटा सिर सामने पडा था माँ उसे आखरी बार चूम भी नही पा रही थी इस वजह से एक आँख से दस दस आँसू बह रहे थे। बेटे को काट कर उसे पका खा लिया गया। और माँ देखती रह गई साथ में बेठी हर बकरियाँ इस घटना से अवगत थी पर कोई कुछ कर भी क्या सकती थी।                                                                                    दो माह बीत चुके थे मधू बेटे के जाने के गम में पहले से आधी हो चुकी थी कि तभी एक दिन मालिक अपने बेटे को खिलाते हुए बकरियों के सामने आया ये देख एक बकरी बोली ये है वो बच्चा जिसके होने पर तेरे बच्चे को काटा गया मधू आँखों में आँसू भरे अपने बच्चे की याद में खोई उस मालिक के बच्चे को देखने लगी। वह बकरी फिर बोली देख कितना खुश है अपने बालक को खिला कर पर कभी ये नही सोचता की हमें भी हमारे बालक प्राण प्रिय होते है मैं तो कहूं जैसे हम अपने बच्चों के वियोग में तड़प कर जीते है वैसे ही ये भी जिए इसका पुत्र भी मरे ये सुनते ही मधू उस बकरी पर चिल्लाई कहा उस बेगुनाह बालक ने क्या बिगाड़ा है जो उसे मारने की कहती हो वो तो अभी धरा पर आया है ऐसा ना कहो भगवान् उसे लम्बी उम्र दे क्योंकि एक बालक के मरने से जो पीड़ा होती है मैं उससे अवगत हूँ मैं नही चाहती जो पीड़ा मुझे हो रही है वो किसी और को हो ये सुन साथी बकरी बोली कैसी है तू उसने तेरे बालक को मारा और तू फिर भी उसी के बालक को दुआ दे रही है। मधू हँसी और कहा हाँ क्योंकि मेरा दिल एक जानवर का है इंसान का नही।

( कई बार सच समझ नही आता की जानवर असल में है कौन)

*शाकाहारी बनों।
हर जीव के बारे में सोचे।।
खाने से पहले बिरयानी
चीख जीव की सुन लेते।
करुणा के वश में होकर
शाकाहार को चुन लेते।

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