मुम्बई. भारत का सबसे बड़ा कृषि जिंस डेरिवेटिव एक्सचेंज नैशनल कमोडिटी डेरिवेटिव एक्सचेंज लिमिटेड (एनसीडीईएक्स) ने अपने क्लियरिंग कॉरपोरेशन के जरिये अनुबंध की एक्सपायरी पर डिलिवरी लेने के लिए मार्जिन के नियमों में ढील दी है। इसके क्लियरिंग कॉरपोरेशन- नैशनल कमोडिटी क्लियरिंग लिमिटेड (एनसीसीएल) ने आज कहा कि अब डिलिवरी मार्जिन (नकद) का इस्तेमाल एक्सचेंज पर डिलिवरी लेने के लिए भुगतान में किया जाएगा। इससे बाजार भागीदारों को प्री-एक्सपायरी मार्जिन को भुगतान देनदारी के बदले समायोजित कर अपनी पूंजी की जरूरत को कुशलतापूर्वक प्रबंधित करने में मदद मिलेगी। हालांकि सदस्य को यह आग्रह करना होगा कि अतिरिक्त आधार पूंजी (एबीसी) में जमा नकदी को डिलिवरी भुगतान देनदारी के बदले समायोजित किया जाए। एनसीसीएल के एमडी और सीईओ राजीव रल्हन ने कहा समायोजन का लाभ डिलिवरी होने वाली लॉन्ग पॉजिशन पर वसूले जाने वाले डिलिवरी मार्जिन के बराबर दिया जाएगा। इससे एनसीसीएल की तरफ से डिलिवरी मार्जिन जानी किए जाने तक निपटान देनदारी पूरी करने के लिए धन की अंतरिम व्यवस्था नहीं करनी होगी। एनसीडीईएक्स में सौदे होते हैं और इनके निपटान की जिम्मेदारी उसके क्लियरिंग कॉरपोरेशन की है। एनसीडीईएक्स को उम्मीद है कि उसके इस कदम से इस मूल्य शृंखला के भागीदारों में सुधार आएगा क्योंकि कीमत निर्धारण और दूसरे पक्ष के जोखिम को कम करने के लिए सही माहौल बनेगा। एनसीडीईएक्स के कार्यकारी उपाध्यक्ष कपिल देव ने कहा हमने पिछले एक दशक के दौरान एक करोड़ टन की फिजिकल डिलिवरी की है। एनसीसीएल ने हाल में प्री-एक्सपायरी मार्जिन या डिलिवरी को डिलिवरी भुगतान के बदले समायोजित करने का फैसला किया है। इससे भागीदारों के लिए फंड की जरूरत कम होगी।