जयपुर. अनरेगुलेटेड लेंडिंग मार्केट पर लगाम लगाने के लिए सरकार ने बिल्डर्स और जूलर्स द्वारा दी जाने वाली हाई-रिस्क डिपॉजिट स्कीम पर प्रतिबंध लगा दिया है। कंपनियां अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए डिपॉजिट्स राशि का उपयोग करती हैं और अधिक ब्याज दरों की पेशकश ने निवेशकों को इन ऑफर्स की तरफ आकर्षित किया था। टियर II और टियर III शहरों में यह प्रथा काफी सामान्य थी। सरकार ने 21 फरवरी 2019 को बैनिंग ऑफ अनरेगुलेटेड डिपॉजिट स्कीम्स ऑर्डिनेंस 2019 (Banning of Unregulated Deposit Ordinance-2019) को पास किया था। जिसमें रेग्युलेटर अप्रूवल के अलावा सभी डिपॉजिट स्कीम्स (ब्याज के साथ या बिना) को प्रतिबंधित कर दिया गया। हालांकि इनमें से कुछ डिपॉजिट्स में मौजूदा कलेक्टिव इन्वेस्टमेंट स्कीम्स (CIS) विनियम 1999 का उल्लंघन किया हो सकता है जो मार्केट रेग्युलेटर सिक्युरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (Sebi) द्वारा निर्धारित है। नए ऑर्डिनेंस इन कंपनियों को डिपॉजिटर्स से पैसे लेने से प्रतिबंधित करता है
बिना रजिस्ट्रेशन नहीं होंगे पैसे जमा
बिल्डरों, ज्वैलर्स और अन्य प्रकार के व्यवसायों के साथ डिपॉजिट जिनके पास विशिष्ट विनियामक अनुमोदन नहीं है प्रतिबंध से प्रभावित होंगे। इस अध्यादेश से हर उस निकाय के लिए पंजीकरण अनिवार्य हो गया है जो जमा लेने की सुविधा देता हो। इससे जमा लेने योग्य सभी निकायों की केंद्रीय सूची भी तैयार होगी। जो कोई निकाय पंजीकृत नहीं होगा, जमा नहीं ले सकेगा। Banning of Unregulated Deposit Ordinance- 2019 से घबराने की जरूरत नहीं। व्यवहारिक तौर पर जो भी लेनदेन होते हैं उसपर पाबंदी नहीं लगी है। मसलन अपने रिश्तेदारों से लेनदेन या कारोबार के लिए किसी फर्म, कम्पनी या LLP जैसे संस्थाओं से लेनदेन की छूट दी गयी है वहीं बैंक, नॉन-बैंकिंग फाइनेंस कंपनी (NBFCs) डिपॉजिट पर इसका असर नहीं होगा।
क्या कर सकते हैं आप
ऑर्डिनेंस लागू होने के बाद इन स्कीमों से ग्राहक को निकलना बेहतर होगा। अगर ज्वैलर या बिल्डर आपको पैसे लौटाने से इनकार करें तो आप IPC की धारा 420 के तहत केस दर्ज कर सकते हैं। ऑर्डिनेंस के तहत सारे डिपॉजिट्स गैर-कानूनी हैं।