एनएमओ के 44वें राष्ट्रीय अधिवेशन का शुभारंभ
जयपुर। राज्यपाल हरिभाऊ बागडे ने कहा कि चिकित्सक सेवा भाव को सर्वोपरि रखते स्वास्थ्य सेवाओं में उदाहरण बने। उन्होंने कहा कि चिकित्सक भगवान के समान होते हैं। वह असाध्य रोगों से भी रोगी को नया जीवन देते हैं। चिकित्सा व्यवसाय नहीं सेवा कार्य है।
राज्यपाल शनिवार को उदयपुर में नेशनल मेडिकल ऑर्गेनाइजेशन (एनएमओ) के 44वें राष्ट्रीय अधिवेशन नमोकॉन-2025 के उद्घाटन सत्र को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने स्वामी विवेकानंद की चर्चा करते हुए कहा कि उन्होंने मानव सेवा को ही ईश्वर सेवा बताया था। पंडित दीनदयाल उपाध्याय ने भी नर सेवा को नारायण सेवा के रूप में स्वीकार किया। इसी भावना के साथ समाज को स्वास्थ्य, शिक्षा और सेवा के प्रति जागरूक बनाना आवश्यक है।
राज्यपाल ने चिंता व्यक्त की कि वर्तमान समय में मनुष्य की रोग प्रतिकारक क्षमता कमजोर हो रही है, जिसे बढ़ाने के प्रयास आवश्यक हैं। उन्होंने कहा कि पुराने समय में प्रातःकाल दंड-बैठक और व्यायाम हमारी दिनचर्या का अनिवार्य हिस्सा था, लेकिन आधुनिक जीवनशैली में यह परंपरा लुप्त होती जा रही है। इसे पुनर्जीवित कर लोगों को स्वस्थ जीवन के लिए प्रेरित किया जाना चाहिए। उन्होंने कोविड-19 महामारी का उदाहरण देते हुए कहा कि इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में न केवल देश बल्कि दूसरे देशों के लोगों को भी बचाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया गया।
उन्होंने कहा कि पाश्चात्य संस्कृति के प्रभाव से हमारी बौद्धिक क्षमता प्रभावित हुई है, जबकि भारत का चिकित्सा शास्त्र सदियों से अत्यंत समृद्ध रहा है। उन्होंने खिलजी जैसे आक्रमणकारियों द्वारा भारत की बौद्धिक संपदा और ज्ञान परंपरा को नष्ट करने के प्रयासों का उल्लेख किया और कहा कि विषम परिस्थितियों के बावजूद भारतीय चिकित्सकों ने वैश्विक स्तर पर अपना कीर्तिमान बनाए रखा। उन्होंने कहा कि प्राचीन चिकित्सा पद्धति और परंपरागत ज्ञान को संरक्षित रखना हमारी जिम्मेदारी है।
राज्यपाल ने आरंभ में स्वस्थ तन और मन का संदेश देते अधिवेशन की स्मारिका का भी लोकार्पण किया।