लाखों रूपए के शुल्क की छूट दी आईडीसी की बैठकों में, अब भूखण्ड़ बेचने की तैयारी में भूखण्डधारी
जयपुर-आबूरोड. रीको विभाग ने थ्री डब्लू नियमों के तहत लाखों वर्गमीटर के जिन भूखण्ड़ों का आवंटन किया था, वे भूखण्डधारी अब रीको के भूखण्ड बेचकर मालोमाल हो रहे हैं. रीको विभाग ने रियायती दर पर आबू रोड के ग्रोथ सेंटर द्वितीय में वर्ष 2010 में कई कंपनियों को भूखण्ड़ों का आवंटन किया था. तय समय पर उत्पादन कार्य शुरू नहीं करने पर रीको विभाग रिटेंषन चार्जेस वसूलता है परंतु इन कंपनियों ने आईडीसी की बैठक में पर्यावरण स्वीकृति नहीं मिलने की आड़ में रिटेंषन चार्जेस में छूट ले ली. अब सात वर्ष बीत जाने के बाद कंपनियों ने उत्पादन तो दूर की बात, निर्माण कार्य तक शुरू नहीं किया है और अब कंपनियों ने बड़े-बड़े विज्ञापन देकर भूखण्ड़ों को बेचने की तैयारी चल रही है.
रीको में फाइल इधर-उधर- मामले की षिकायत जब रीको विभाग में हुई तो मुख्यालय ने आबू रोड़ रीको विभाग से ऐसी कंपनियों की फाइल मंगवाई परंतु वहां भी कार्रवाई करने की बजाय फाइल ओके करके रीजनल ऑफिस भिजवा दी गई.
क्या है मामला- आबू रोड रीको ग्रोथ सेंटर स्थित भूखण्ड संख्या एसपी 227- 228 भूखण्ड का आवंटन वर्ष 2010 में किया गया था. इस भूखण्ड का क्षेत्रफल 1,61,706.13 वर्गमीटर है और आपके विभाग ने थ्री डब्लू नियमों के तहत अलॉट किया था. नियमों के अनुसार उक्त भूखण्डधारी को उक्त भूखण्ड का निर्माण कार्य तीन वर्ष के भीतर कर देना था परंतु वर्ष 2014 में आपके विभाग की आईडीसी की हुई बैठक में उक्त भूखण्डधारी को रिटेंषन चार्जेस नहीं भरने की छूट दे दी गई. भूखण्डधारी ने 70 करोड का निवेष दिखाकर भूखण्ड आवंटन करवाया था परंतु इस समय भूमि बंजर अवस्था में है और रीको विभाग ने न अब तक भूखण्ड को निरस्त किया है ना ही रिटेंषन चार्जेस वसूलें है.