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LIC Mutual Fund launches ‘LIC MF Manufacturing Fund’

एलआईसी म्यूचुअल फंड ने लॉन्च किया ‘एलआईसी एमएफ मैन्यूफैक्चरिंग फंड’

न्यू फंड ऑफर (एनएफओ) 20 सितंबर 2024 से चार अक्टूबर 2024 तक सब्सक्रिप्शन के लिए उपलब्ध रहेगा

मुंबई. भारत के सबसे पुराने फंड हाउस में शामिल एलआईसी म्यूचुअल फंड ने एलआईसी एमएफ मैन्यूफैक्चरिंग फंड की शुरुआत की है. यह एक ओपन-एंडेड इक्विटी स्कीम है जो मैन्यूफैक्चरिंग थीम को फॉलो करती है.

इस स्कीम का एनएफओ आज यानी 20 सितंबर, 2024 को सब्सक्रिप्शन के लिए खुला और यह चार अक्टूबर 2024 तक सब्सक्रिप्शन के लिए उपलब्ध रहेगा. इस स्कीम के तहत 11 अक्टूबर, 2024 को यूनिट आवंटित किए जाएंगे. योगेश पाटिल और महेश बेंद्रे इस स्कीम को मैनेज करेंगे. इस स्कीम को निफ्टी इंडिया मैन्यूफैक्चरिंग इंडेक्स (टोटल रिटर्न इंडेक्स) से लिंक किया जाएगा.

इस स्कीम का निवेश लक्ष्य मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर से जुड़ी कंपनियों के शेयरों और शेयरों से जुड़े इंस्ट्रुमेंट्स में मुख्य रूप से निवेश के जरिए लंबी अवधि में निवेश पूंजी में वृद्धि हासिल करना है. हालांकि, इस बात को लेकर किसी तरह का आश्वासन नहीं दिया गया है कि निवेश लक्ष्य हासिल हो जाएगा. न्यूनतम 5,000 रुपये और उसके बाद एक रुपये के गुणकों वाली रकम के साथ एनएफओ के दौरान आवेदन/ स्विच इन किया जा सकेगा.

इस स्कीम का लक्ष्य मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर की अलग-अलग कंपनियों में निवेश करना है, जिनमें ऑटोमोबाइल, फार्मास्यूटिकल, केमिकल, हेवी इंजीनियरिंग प्रोडक्ट्स, धातु, शिपबिल्डिंग और पेट्रोलियम उत्पाद जैसे क्षेत्रों की कंपनियां शामिल हैं. हालांकि, यह दायरा इन्हीं क्षेत्रों तक सीमित नहीं है.

नए फंड ऑफर को लेकर एलआईसी म्यूचुअल फंड के मैनेजिंग डायरेक्टर और चीफ एग्जीक्यूटिव ऑफिसर आर के झा ने कहा, “भारत की मजबूत जीडीपी वृद्धि, तेजी से हो रहा शहरीकरण, मध्य वर्ग की बढ़ती आबादी, निर्यात को लेकर सरकार की पहल और प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव स्कीम और मेक इन इंडिया जैसे नीतिगत पहलों से विनिर्मित वस्तुओं की मांग में बढ़ोत्तरी देखने को मिल रही है. इनके परिणामस्वरूप देश को दुनिया के लिए एक मैन्यूफैक्चरिंग हब के तौर पर विकसित किया जा रहा है. इसके साथ ही, 2027 तक भारत को 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने में मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर की अहम भूमिका रहने वाली है. इससे मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर के निवेशकों को इससे जुड़े सेक्टरों के वर्तमान परिदृश्य से लाभ मिल सकता है.”

एलआईसी म्यूचुअल फंड के चीफ इंवेस्टमेंट ऑफिसर (इक्विटी) योगेश पाटिल ने कहा, “पिछले दो दशकों में, भारत के ग्रॉस वैल्यू एडेड में मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर की वृद्धि धीमी रही है क्योंकि खपत और सेवा क्षेत्र देश की आर्थिक वृद्धि के सबसे बड़े वाहक रहे हैं. हालांकि, इसमें बदलाव की संभावना है क्योंकि सरकार के सुधारों का लक्ष्य मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर को आर्थिक वृद्धि का अहम इंजन बनाना है. मेक इन इंडिया, आत्मनिर्भर भारत और प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव स्कीम जैसी पहलों और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में हो रहे बदलाव मिलकर भारत के लिए चीन प्लस वन और यूरोप प्लस वन के अवसर पैदा कर रहे हैं. इन कोशिशों से संबंधित क्षेत्रों में संभावनाओं के द्वार खुलने, व्यापक आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलने तथा भारत को वैश्विक विनिर्माण केंद्र (ग्लोबल मैन्यूफैक्चरिंग हब) के रूप में स्थापित करने की उम्मीद है.”

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