आईआईएचएमआर यूनिवर्सिटी और यूनिसेफ ने जयपुर में यूनिवर्सिटी कैंपस में शुरू किया सेंटर फॉर बिहेव्यरल साइंसेज, केंद्र सरकार, गैर सरकारी संगठनों और विकास भागीदारों के साथ मिलकर काम करेगा सेंटर फॉर बिहेव्यरल साइंसेज, केंद्र सार्वजनिक कार्यक्रमों की प्रभावशीलता को बढ़ाने की दिशा में करेगा योगदान।
जयपुर. स्वास्थ्य प्रबंधन से संबंधित रिसर्च में अग्रणी आईआईएचएमआर यूनिवर्सिटी ने यूनिसेफ के साथ मिलकर अपने परिसर में ‘सेंटर फॉर बिहेव्यरल साइंसेज (सीबीएस)’ की शुरुआत करते हुए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है। आईआईएचएमआर यूनिवर्सिटी इस केंद्र के माध्यम से साक्ष्य और अधिकार-धारक-केंद्रित समाधानों के माध्यम से बड़े पैमाने पर सार्वजनिक कार्यक्रमों को और अधिक असरकारक बनाने की दिशा में काम करेगा। सेंटर फॉर बिहेव्यरल साइंसेज के उद्घाटन समारोह में, आईआईएचएमआर यूनिवर्सिटी के प्रेसिडेंट डॉ. पी. आर. सोडानी ने सभी प्रतिभागियों का स्वागत किया और कहा, ‘‘सेंटर फॉर बिहेव्यरल साइंसेज की शुरुआत करते हुए आईआईएचएमआर यूनिवर्सिटी ने नीति नियोजन और कार्यक्रम प्रबंधन के लिए प्रामाणिक और साक्ष्य-आधारित रिसर्च को बढ़ावा देने में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है। यह केंद्र सरकार, गैर-सरकारी संगठनों और विकास भागीदारों के साथ मिलकर काम करेगा और इस तरह प्रदेश में स्वास्थ्य परिणामों को बेहतर बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाएगा।’’
यूनिसेफ राजस्थान के प्रमुख श्री ऋषभ हेमानी ने कहा, ‘‘हमें विश्वास है कि आईआईएचएमआर यूनिवर्सिटी के साथ यह महत्वपूर्ण साझेदारी बेहतर भविष्य के लिए एक नया विजन प्रदान करेगी। हमारा मानना है कि व्यवहार विज्ञान दरअसल मानव व्यवहार के मामले में एक गहरा विजन प्रदान करता है, जिससे हमें सामाजिक मुद्दों से निपटने के लिए लगातार अधिक प्रभावी रणनीति विकसित करने में मदद मिलती है।’’
इस अवसर पर सेंटर फॉर बिहेव्यरल साइंसेज के लोगो का अनावरण भी किया गया। आईआईएचएमआर यूनिवर्सिटी के प्रेसिडेंट डॉ पी. आर. सोडानी, राजस्थान सरकार के निदेशक (आरसीएच) डॉ एस एस राणावत, यूनिसेफ के अधिकारी चीफ एसबीसी श्री डेनिस लार्सन, यूनिसेफ की चीफ न्यूट्रिशन सुश्री सिल्वी चामोइस और यूनिसेफ राजस्थान के प्रमुख श्री ऋषभ हेमानी ने संयुक्त रूप से लोगो को जारी किया।
इस केंद्र के तत्वावधान में आईआईएचएमआर यूनिवर्सिटी और यूनिसेफ साझा तौर पर बेहतर नीति निर्माण, कार्यक्रम नियोजन और कार्यान्वयन में योगदान करेंगे, ताकि प्रभावशाली बदलाव को संभव बनाया जा सके। शोधकर्ताओं, शिक्षाविदों, नीति प्रारूपकारों और चिकित्सकों के नेटवर्क को प्रभावी सहयोग प्रदान करके और क्यूरेट करके, केंद्र का उद्देश्य सार्थक ज्ञान उत्पन्न करना है। एक अन्य प्रमुख उद्देश्य जीवन को बेहतर बनाने के लिए व्यवहार विज्ञान और अंतर्दृष्टि से प्रेरित अत्याधुनिक सामाजिक अनुसंधान का नेतृत्व करना, इसे एकीकृत करना और लोगों तक पहुंचाना है।
यूनिसेफ के अधिकारी चीफ एसबीसी डेनिस लार्सन ने इस सहयोग के महत्व पर जोर दिया और कहा, ‘‘लोगों के व्यवहार को बेहतर ढंग से समझने के लिए स्थापित यह केंद्र विकास संबंधी सस्टेनेबल लक्ष्यों (एसडीजी) की दिशा में एक महत्वपूर्ण योगदान है और इन अर्थों में यह एक उल्लेखनीय उपलब्धि है।