नई दिल्ली. दुनियाभर में ‘अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस’ मनाया जाता है। किसी भी समाज का संपूर्ण विकास तभी होता है जब उसके हर तबके को विकास की धारा में शामिल होने का बराबर अवसर मिले। अगर विकास की यात्रा में कोई तबका छूट जाता है तो वह भविष्य में असमानता का बड़ा कारण बनता है। महिलाओं के संदर्भ में भी यह बात लागू होती ह। यह सच है कि आजादी के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था के शुरुआती दिनों में महिलाओं का प्रतिनिधित्व पुरुषों के मुकाबले कम रहा है। शायद यही कारण है कि आज भी भारत एक विकासशील देश है। ऐसा इसलिए क्योंकि विकास की यात्रा में महिलाओं को बिना साथ लिए बहुत आगे तक नहीं जा सकते हैं। जहां तक वर्तमान केंद्र सरकार का सवाल है तो उसने अपनी तमाम नीतियों में महिलाओं को आगे रखा है। कुछ ऐसी योजनाएं हैं। जिनका सही मायने में जमीनी स्तर पर प्रभाव दिख रहा है। महिला आधारित विकास को सुनिश्चित करने के लिए जो पहली प्राथमिकता है वह उसके जन्म से शुरू होती है। वर्तमान केंद्र सरकार की ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ योजना और सुकन्या समृद्धि योजना समाज बेटियों को आर्थिक एवं सामाजिक रूप से सशक्त करने का काम कर रही है बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना के अंतर्गत पुरुषों के मुकाबले महिलाओं के गिरते अनुपात को बढ़ाने का काम किया जा रहा है। इस योजना में बच्चियों की उच्च शिक्षा सुनिश्चित करने का भी लक्ष्य रखा गया है। ग्रामीण इलाकों में भी इस योजना की पहुंच देखी जा रही है।महिलाओं में उद्यमशीलता को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार ने मुद्रा योजना के तहत बिना किसी प्रतिबद्धता के कर्ज उपलब्ध कराने का कार्य किया है। इस योजना में सबसे अधिक कर्ज महिलाओं को दिया गया है। इस योजना में बांटे गए कर्ज में महिलाओं की कुल हिस्सेदारी 75% बनती है। योजना के अंतर्गत आने वाले 14 करोड़ लाभार्थियों में 9.81 करोड़ महिलाएं हैं।
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