अहमदाबाद. मैरिंगो सीआईएमएस हॉस्पिटल (Maringo CIMS Hospital) ने आज बड़े गर्व के साथ चिकित्सा के क्षेत्र में एक बेमिसाल उपलब्धि के बारे में जानकारी दी। दरअसल अस्पताल में 77 साल की एक बुजुर्ग महिला के इलाज के लिए, गुजरात में पहली बार नॉन-सर्जिकल डबल वॉल्व रिप्लेसमेंट की प्रक्रिया को सफलतापूर्वक पूरा किया गया। ट्रांसकैथेटर एओर्टिक वॉल्व रिप्लेसमेंट और ट्रांसकैथेटर माइट्रल वॉल्व रिप्लेसमेंट का एक-साथ उपयोग करने वाली यह प्रक्रिया सचमुच काफी इनोवेटिव है, जो दिल की बीमारियों के इलाज में एक बड़ी प्रगति को दर्शाती है।
77 साल की मरीज, शांतिबेन (बदला हुआ नाम) का इलाज 12 साल पहले माइट्रल वॉल्व रिप्लेसमेंट और कोरोनरी आर्टरी बाईपास ग्राफ्टिंग सर्जरी से किया गया था। परंतु उनके माइट्रल वॉल्व की लगातार बिगड़ती स्थिति और उम्र बढ़ने के कारण एऑर्टिक वॉल्व में खराबी आ जाने की वजह से उन्हें सांस लेने में कठिनाई हो रही थी, जिसके चलते उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया। उनकी बढ़ती उम्र, कमजोरी और दूसरी बार सर्जरी करने से जुड़े खतरे को देखते हुए, सर्जरी के पारंपरिक विकल्पों को बहुत अधिक जोखिम वाला माना गया।
पारंपरिक ओपन-हार्ट सर्जरी के विकल्प के तौर पर ट्रांसकैथेटर माइट्रल वॉल्व रिप्लेसमेंट (TMVR) और ट्रांसकैथेटर एओर्टिक वॉल्व रिप्लेसमेंट (TAVR) की तकनीक का सहारा लिया जाता है, जिसमें बेहद कम चीर-फाड़ की जरूरत होती है। डबल वॉल्व रिप्लेसमेंट के इन दो तरीकों के एक साथ उपयोग का फायदा मरीजों को मिलता है, जो कम समय में ठीक हो जाते हैं, जटिलताएँ न्यूनतम होती हैं और उनके जीवन की गुणवत्ता में सुधार होता है।
डॉ. मिलन चाग और डॉ. धवल नाइक की अगुवाई में विविध क्षेत्रों के विशेषज्ञों की एक टीम ने एकजुट होकर काम करते हुए TMVR और TAVR की प्रक्रिया के एक साथ उपयोग करने का निर्णय लिया। इस नई और बिल्कुल अनोखी तरकीब से ओपन-हार्ट सर्जरी के बगैर मरीज के दोनों वॉल्व का आसानी से रिप्लेसमेंट करना संभव हुआ, जिससे प्रक्रिया से जुड़े जोखिम काफी हद तक कम हो गए तथा मरीज को बेहद कम चीर-फाड़ वाले उपचार का विकल्प प्रदान किया गया।