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छोटा ऋण, बड़ा प्रभाव: ‘चेक आउट फाइनेंसिंग’ भारत की उपभोक्ता अर्थव्यवस्था को कैसे बढ़ावा दे रहा

Jaipur. महामारी के प्रभाव के बीच, भारत में एक अभूतपूर्व डिजिटल परिवर्तन (डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन) देखा गया, जिसके तहत उपभोक्ताओं ने आभासी परिदृश्य (वर्चुअल लैंडस्कैप) को पूरे दिल से अपनाया। तब से, ग्राहकों के लिए उनकी ‘ए टू ज़ेड’ खरीदारी जरूरतों को पूरा करने वाले मंच के रूप में ई-कॉमर्स तेजी से उभर कर सामने आया है। इस अवधि में डिजिटल ऋण सेवाओं में भी तेजी देखी गई है। दूसरी ओर, ग्राहकों को ‘चेक-आउट फाइनेंस’ योजना के तहत तत्काल क्रेडिट-आधारित भुगतान विधियों का उपयोग कर ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर खरीदारी करने का अवसर भी मिला।

अक्षय सरमा, मुख्य वित्तीय अधिकारी, एक्सियो चेक-आउट वित्तपोषण जैसे भुगतान विकल्पों की उपलब्धता ने उनके लिए चेकआउट पर फ्लेक्सिबल री-पेमेंट, किफायती ईएमआई, शून्य ब्याज या शुल्क और तनाव मुक्त प्रक्रिया के साथ तत्काल स्मॉल-टिकट लोन तक पहुंच आसान बना दी है।

इस मॉडल की सफलता के पीछे मुख्य कारक “नो कॉस्ट ईएमआई” विकल्पों की उपलब्धता रहा है, जिसने लोगों को अतिरिक्त शुल्क दिए बिना ही एक्सटेंडेड पीरियड (विस्तारित अवधि) में अपना पुनर्भुगतान करने में सक्षम बनाया है। आज, चेक-आउट फाइनेंसिंग ने वित्तीय समावेशन को बढ़ाने में बहुत योगदान दिया है और लोगों को प्रभावी ऋण प्रबंधन (ड़ेट मैनेजमेंट) के बारे में शिक्षित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।

बाद में भुगतान (पे लैटर) जैसे विकल्पों के साथ, ग्राहक अपने पैसे खर्च करने के तरीके को बेहतर ढंग से नियंत्रित कर सकते हैं। यह उन पर वित्तीय दबाव डाले बिना उनकी क्रय शक्ति को बढ़ाता है। ग्राहक खरीद राशि (पर्चेज अमाउंट) को 1-12 महीने के बीच चुकाने का विकल्प खुद चुन सकते हैं।

हालांकि, ग्राहकों को इन भुगतान विकल्पों का उपयोग जिम्मेदारी से करना चाहिए। भुगतान चूकने या ऋण जमा होने से अतिरिक्त शुल्क/जुर्माना लग सकता है और डिफॉल्टर होने पर उनके फाइनेंशियल हेल्थ और क्रेडिट स्कोर पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। इसलिए, उधारकर्ताओं के लिए क्रेडिट विकल्प चुनने से पहले नियम और शर्तों को समझना बहुत ही महत्वपूर्ण है।

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