नई दिल्ली। अंतर्राष्ट्रीय संगठन न्गुवु कलेक्टिव द्वारा संचालित शी क्रिएट्स चेंज प्रोग्राम से डिजिटल प्रचार प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद राखी ने अपनी ऑनलाइन याचिका को शुरू किया। अपनी याचिका में राखी ने वार्षिक शिक्षा स्थिति रिपोर्ट (एएसईआर) का हवाला दिया, जिसमें कहा गया है कि 13-16 साल की आयु वर्ग की लड़कियाँ यौवन के करीब आने पर, उचित जागरूकता की कमी, स्कूलों में अपर्याप्त सुविधाओं और सामुदायिक स्तर पर स्वच्छता उत्पादों की अनुपलब्धता के कारण शैक्षणिक पथ से बाहर हो जाती हैं। महामारी ने राजस्थान में स्कूल छोड़ने की दर को बढ़ा दिया है। यूनिफाइड डिस्ट्रिक्ट इंफॉर्मेशन सिस्टम फॉर एजुकेशन के आंकड़ों के अनुसार, 2020-21 और 2021-22 में, राज्य में लगभग 481272 बच्चों ने प्राथमिक विद्यालय छोड़ दिए।
राखी ने बताया, “मैंने 2019-2021 तक जैसलमेर के स्कूलों में काम किया, और जब मैंने सरकारी स्कूलों में लड़कों की तुलना में लड़कियों का अनुपात को देखा तो मैं चिंतित हो गई। जो स्कूल वास्तव में दूर-दराज के थे, वहां कक्षा V और उससे ऊपर की कक्षाओं में लड़कियों की उपस्थिति 0 – 2 तक ही थी।”
“मैंने अपनी याचिका शुरू की ताकि जैसलमेर जिले के पंचायत स्तर के सरकारी स्कूलों में वेंडिंग मशीन और इंसिनरेटर्स स्थापित करने के लिए जिला कलेक्टर को आग्रह कर सकूं, ताकि वह उपयोगी और सुविधायुक्त हो जाएं,” राखी ने बताया कि उनका सपना है की राजस्थान में मासिक धर्म के लेकर पीरियड-पॉजिटिव सुरक्षित स्थान हों, ताकि युवा लड़कियां मासिक धर्म के आसपास की पीढ़ीगत वर्जनाओं को तोड़ पाए।
राखी कहती हैं, “राजस्थान सरकार ने ‘चुप्पी तोड़ो, खुलकर बोलो’ अभियान शुरू किया है, जहां प्रत्येक स्कूल में स्वच्छ सेनेटरी नैपकिन और फोलिक एसिड दी जाती है। लेकिन जैसे-जैसे राजस्थान विधानसभा चुनावों के लिए तैयारी कर रहा है, हमें रिंकी जैसे बच्चों के अनुभवों पर ध्यान देना चाहिए।”