नई दिल्ली. पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद द्वारा प्रतिबंध के प्रस्ताव पर सदस्य देशों को अगले हफ्ते 13 मार्च तक फैसला लेना है। अबतक इस राह में अड़ंगा लगा रहा चीन पुलवामा अटैक के बाद इस बार प्रस्ताव का विरोध छोड़ सकता है लेकिन उसे चिंता है कि ऐसी कार्रवाई से जैश चीन-पाकिस्तान इकनॉमिक कॉरिडोर CPEC को टारगेट कर सकता है। हमारे सहयोगी अखबार इकनॉमिक टाइम्स को विश्वस्त सूत्रों से पता चला है कि इस बार अजहर पर बैन के नए प्रस्ताव पर समर्थन का मूड बना रहा चीन इसके लिए भी कोशिश कर रहा है कि पाकिस्तान से उसे सुरक्षा की गारंटी मिले। CPEC न सिर्फ पाकिस्तान के अवैध कब्जे वाले कश्मीर और गिलगित-बाल्टिस्तान से होकर गुजरता है बल्कि खैबर पख्तूख्वा के मानशेरा जिले से भी होकर गुजरता है जहां बालाकोट स्थित है। इसी जिले में कई आतंकी प्रशिक्षण शिविर है। पुलवामा आत्मघाती हमले के बाद इंडियन एयरफोर्स ने बालाकोट में ही जैश के सबसे बड़े ट्रेनिंग कैंप को तबाह किया था। चीन ने हाल ही में CPEC के लिए बालाकोट के नजदीक बड़े पैमाने पर जमीन का अधिग्रहण किया है। इसके अलावा POK से होकर पाकिस्तान को चीन से जोडऩे वाला काराकोरम हाइवे भी मानशेरा से होकर गुजरता है। चीन के उप विदेश मंत्री कोंग जुआनयो ने 5.6 मार्च को पाकिस्तान का दौरा किया था। ऐसा माना जा रहा है कि उन्होंने ब्च्म्ब् की सुरक्षा की गारंटी को लेकर चर्चा की CPEC चीन के महत्वाकांक्षी बेल्ट ऐंड रोड इनिशटिव BRI के तहत फ्लैगशिप प्रॉजेक्ट है। विश्वस्त सूत्रों के मुताबिक BRI का दूसरा समिट अगले महीने महीने होने वाला है। चीन के करीब 10000 नागरिक CPEC से संबंधित तमाम प्रॉजेक्ट्स पर काम कर रहे हैं। जैश सरगना मसूद अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित करने के लिए इस बार फ्रांस की तरफ से सुरक्षा परिषद में प्रस्ताव लाया गया हैए जिसे UNSC के 3 अन्य स्थायी सदस्यों-अमेरिका ब्रिटेन और रूस का समर्थन हासिल है।
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