इस अनुमोदन द्वारा एस्ट्राजेनेका द्वारा किए गए नए ट्रायल डेलिवर के आधार पर हार्ट फेलियर के मरीजों का इलाज इजेक्शन फ्रैक्शन के बिना हो सकेगा।
नई दिल्ली। विज्ञान पर आधारित बायोफार्मास्युटिकल कंपनी, एस्ट्राजेनेका फार्मा इंडिया लिमिटेड (AstraZeneca Pharma India Limited) (एस्ट्राजेनेका इंडिया) ने घोषणा की है कि इसे व्यस्कों में हार्ट फेलियर (एचएफ) के इलाज के लिए अपनी दवाई, डेपाग्लाईफ्लोज़िनिन के लिए ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (डीजीसीआई) की अनुमति मिल गई है।
आज तक का सबसे व्यापक एचएफ ट्रायल
यह अनुमति डेलिवर फेज़3 के ट्रायल से मिले विस्तृत परिणामों पर आधारित है, जो 40 प्रतिशत से ज्यादा एलवीईएफ (लेफ्ट वेंट्रिकुलर इजेक्शन फ्रैक्शन) के मरीजों के लिए आज तक का सबसे व्यापक एचएफ ट्रायल है। एस्ट्राजेनेका के ओरिज़नल शोध उत्पाद डेपाग्लाईफ्लोज़िन ने प्लेसेबो के मुकाबले रिड्यूज़्ड या प्रिज़र्व्ड इजेक्शन फ्रैक्शन (ईएफ) के मरीजों में कार्डियोवैस्कुलर या हार्ट फेलियर से होने वाली मौतों के कंपोज़िट में काफी कमी लाई। ये परिणाम पूर्व-निर्धारित उपसमूहों में स्थिर थे। डेपाग्लाईफ्लोज़िन रिड्यूज़्ड इजेक्शन फ्रैक्शन के साथ एचएफ के लिए पहले से अनुमोदित है। इस अतिरिक्त इंडीकेशन से इजेक्शन फ्रैक्शन चाहे जो हो, सभी तरह के एचएफ के लिए इंडीकेशन का विस्तार होगा। डेपाग्लाईफ्लोज़िन एकमात्र एसजीएलटी-2आई है, जिसने एलवीईएफ में हार्ट फेलियर के पूल्ड एनालिसिस में मृत्यु दर में कमी प्रदर्शित की है।
विश्व में लगभग 64 मिलियन लोग और भारत में 10 मिलियन लोग पीड़ित
हार्ट फेलियर एक क्रोनिक, प्रगतिशील बीमारी है, जिससे विश्व में लगभग 64 मिलियन लोग और भारत में 10 मिलियन लोग पीड़ित हैं। इसमें प्रिज़र्व्ड इजेक्शन फ्रैक्शन और रिड्यूज़्ड इजेक्शन फ्रैक्शन, दोनों तरह के हार्ट फेलियर शामिल हैं। भारतीय एचएफ रजिस्ट्री से प्राप्त डेटा प्रदर्शित करता है कि भारत में उच्च आय वाले देशों के मुकाबले एचएफ मरीज 10 साल ज्यादा युवा हैं, और इस बीमारी का ज्यादातर भार 65 साल से कम उम्र के लोगों में हैं।
डॉ. जितेंद्र सिंह मक्कड़, सीनियर इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट एवं इलेक्ट्रोफिज़ियोलॉजिस्ट तथा डायरेक्टर ऑफ कार्डियोलॉजी, इटरनल हॉस्पिटल, जयपुर ने कहा, ‘‘हार्ट फेलियर में चाहे इजेक्शन फ्रैक्शन जो भी हो, मृत्यु दर काफी ज्यादा है। इसके बाद भी इस बीमारी को पहचानकर निदान के मामले पर्याप्त नहीं हैं। साँस फूलने की समस्या के लिए खून की जाँच और ईकोकार्डियोग्राम कराके हार्ट फेलियर की संभावना का परीक्षण जरूर कराना चाहिए। यह अनुमोदन हार्ट फेलियर के मरीजों, खासकर प्रिज़र्व्ड इजेक्शन फ्रैक्शन के मरीजों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है, जिनके पास इलाज के विकल्प सीमित हैं।’’
डॉ. अनिल कुकरेजा, वाईस-प्रेसिडेंट, मेडिकल अफेयर्स एवं रैगुलेटरी, एस्ट्राजेनेका इंडिया ने कहा, ‘‘हम विज्ञान की सीमाओं का विस्तार करने और भारत एवं विश्व में मरीजों को शोध पर आधारित सर्वश्रेष्ठ परिवर्तनकारी दवाईयाँ प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। डेलिवर अध्ययन से हमारे ये अत्याधुनिक परिणाम हार्ट फेलियर के मरीजों पर डेपाग्लाईफ्लोज़िन के सकारात्मक व महत्वपूर्ण प्रभाव प्रदर्शित करते हैं, फिर चाहे उनका इजेक्शन फ्रैक्शन 40 प्रतिशत से ज्यादा ही क्यों न हो। यह अनुमोदन इस जानलेवा बीमारी के भार को कम करने एवं एचएफ स्पेक्ट्रम के मरीजों को ज्यादा लंबा एवं स्वस्थ तीवन प्रदान करने की हमारी प्रतिबद्धता पर बल देता है।’’
विज्ञान पर आधारित समाधान एवं डेलिवरी रिसर्च के हमारे केंद्रित प्रयासों के साथ एस्ट्राजेनेका का डेपाकेयर क्लिनिकल ट्रायल्स का एक मजबूत कार्यक्रम है, जो सीवी, रीनल, और अंगों की सुरक्षा के लिए डेपाग्लाईफ्लोज़िन के फायदों का आकलन करता है। इसमें 35,000 से ज्यादा मरीजों में 35 से ज्यादा पूर्ण और जारी फेज़ 2बी/3 ट्रायल तथा 2.5 मिलियन से ज्यादा मरीज-सालों का अनुभव शामिल है। डेपाग्लाईफ्लोज़िन को इस समय डीएपीए-एमआई फेज़ 3 ट्रायल में मायोकार्डियल इन्फार्कशन या हार्ट अटैक के बाद टी2डी के बिना मरीजों में जाँचा जा रहा है, जो अपनी तरह का पहला इंडीकेशन-सीकिंग रजिस्ट्री आधारित रैंडमाईज़्ड कंट्रोल्ड ट्रायल है।