जयपुर। भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (Securities and Exchange Board of India) (सेबी) ने म्युचुअल फंड, ब्रोकिंग और वैकल्पिक निवेश फंड (एआईएफ) में आज कई बदलाव किए, जिनका दूरगामी असर होगा। बाजार में किसी बड़ी उथलपुथल से डेट म्युचुअल फंडों को बचाने के मकसद से नियामक ने उनके लिए 33,000 करोड़ रुपये के आपात ऋण कोष का रास्ता तैयार कर दिया।
निवेशकों की रकम महफूज
ब्रोकरों के पास पड़ी निवेशकों की रकम महफूज रखने के लिए नियामक ने द्वितीयक बाजार के लिए भी अस्बा जैसी सुविधा का विकल्प रखा है और ग्राहकों की रकम की जानकारी रोज दिए जाने की व्यवस्था को भी मंजूरी दे दी है। इसके तहत निवेशक ब्रोकरों को लांघते हुए अपनी रकम सीधे क्लियरिंग कॉरपोरेशन के पास रख सकते हैं और उस पर ब्याज भी कमा सकते हैं।
जोखिम पूरी तरह खत्म
सेबी की चेयरपर्सन माधवी पुरी बुच (SEBI Chairperson Madhavi Puri Buch) ने कहा, ‘नियामक ने पहले ग्राहकों की प्रतिभूतियां या शेयर बचाने के उपाय किए और अब हम निवेशकों की नकदी बचा रहे हैं। इससे व्यवस्था के भीतर जोखिम पूरी तरह खत्म हो जाएगा। हम अपने बाजारों में कार्वी जैसा कोई और कांड नहीं होने दे सकते।’ मगर उन्होंने अदाणी मसले पर कुछ भी बोलने से यह कहकर इनकार कर दिया कि मामला अदालत में है और जांच चल रही है। उन्होंने कहा, ‘हम उच्चतम न्यायालय के निर्देशों का पूरी तरह पालन करेंगे।’
अस्बा के विकल्प से निवेशकों की हिफाजत में मदद
अस्बा के विकल्प से निवेशकों की हिफाजत में मदद मिलेगी मगर इससे ब्रोकिंग का खर्च बढ़ने की चिंता भी पैदा हो गई है। बुच ने इसे बेबुनियाद बताते हुए कहा, ‘जब सेबी ने आईपीओ बाजार के लिए अस्बा शुरू किया था तब भी ऐसी ही चिंता जताई गई थी। इससे खर्च कम करने में मदद मिलेगी।’ सेबी के निदेशक मंडल ने स्व-प्रायोजित संपत्ति प्रबंधन कंपनियों (एएमसी) की व्यवस्था को भी मंजूरी दे दी। प्रायोजक मुक्त एएमसी बनने के लिए सकारात्मक तरलता वाली नेटवर्थ होनी चाहिए और पिछले पांच साल में कम से कम 10 करो- रुपये का शुद्ध मुनाफा भी होना चाहिए।