नई दिल्ली। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (Indian Council of Agricultural Research) और विश्व बैंक (world bank) की मेजबानी में ब्लेंडेड लर्निंग ईकोसिस्टम फॉर हायर एजुकेशन इन एग्रिकल्चर 2023 (Blended Learning Ecosystem for Higher Education in Agriculture 2023) पर मंगलवार से तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन शुरू हुआ। राष्ट्रीय कृषि उच्च शिक्षा परियोजना (National Agricultural Higher Education Project) की रेसिलिएंट एग्रिकल्चर एजुकेशन सिस्टम (Resilient Agriculture Education System) के तहत इस कार्यक्रम में 10 से अधिक देशों का प्रतिनिधित्व कर रहे 10 से अधिक अकादमिक साझीदार कृषि शिक्षा में ब्लेंडेड टीचिंग एवं लर्निंग में सर्वोत्तम रणनीतियों पर विचार विमर्श कर रहे हैं।
एनएएचईपी 2018 में शुरू की गई एक पांच वर्षीय परियोजना
सभी कृषि उच्च शिक्षा संस्थानों में डिजिटल आधारभूत ढांचा सुधारने पर केंद्रित ब्लेंडेड लर्निंग प्लेटफॉर्म को ऑगमेंटेड रीयल्टी वर्चुअल रीयल्टी अनुभवों जैसी इमर्सिव टेक्नोलाजीज और वर्चुअल क्लासरूम को मजबूती से लागू करने के लिए आईसीएआर और विश्वबैंक द्वारा पेश किया गया है। एनएएचईपी 2018 में शुरू की गई एक पांच वर्षीय परियोजना है जिसमें विश्व बैंक और केंद्र सरकार प्रत्येक की ओर से 8.25 करोड़ डालर (करीब 600 करोड़ रुपये) का समान योगदान किया गया है। विश्व बैंक के ऋण की अदायगी पांच वर्ष की छूट की अवधि के बाद 19 वर्षों में की जाएगी।
900 से अधिक प्रयोगात्मक लर्निंग इकाइयां
एनएएचईपी के तहत 27 देशों में 89 संस्थानों में 20 कृषि विश्वविद्यालयों से करीब 1000 विद्यार्थियों और 450 फैकल्टी सदस्यों ने अंतरराष्ट्रीय प्रशिक्षण पूरा किया है। 900 से अधिक प्रयोगात्मक लर्निंग इकाइयां हैं जहां विद्यार्थी छह महीने तक व्यवहारिक अनुभव प्राप्त कर सकते हैं और विषयों में दक्ष हो सकते हैं क्योंकि विभिन्न विश्वविद्यालयों में टी प्रोसेसिंग इकाइयां स्थापित की गई हैं। डिजिटल कंटेंट कोष में 160 से अधिक डिजिटलीकृत पाठ्यक्रम हैं और फैकल्टी सदस्यों ने 10,000 से अधिक वीडियो अपलोड किए हैं।
पांच वर्षों में आईसीएआर नई ऊंचाइयों पर पहुंचा : तोमर
मुख्य अतिथि और केंद्रीय कृषि एवं कृषक कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर (Union Agriculture and Farmers Welfare Minister Narendra Singh Tomar) ने कहा, “पांच वर्षों में आईसीएआर नई ऊंचाइयों पर पहुंचा गया है। जब हमने कृषि मेघ शुरू किया तो किसी को भी नहीं पता था कि यह महामारी काल में गेमचेंजर के तौर पर काम करेगा क्योंकि इसने अन्य देशों की तरह भारत की शिक्षा व्यवस्था प्रणाली को बुरी तरह प्रभावित नहीं होने दिया। ब्लेंडेड लर्निंग और कृषि क्षेत्र भारत को 2047 तक विकसित होकर एक विकसित राष्ट्र बनने में मदद करेंगे।
ई-लर्निंग और ई-गवर्नेंस एप्लीकेशंस सभी कृषि विश्वविद्यालयों की पहुंच में
कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग के सचिव और आईसीएआर के महानिदेशक डाक्टर हिमांशु पाठक ने कहा, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजन के मुताबिक, वर्ष 2047 तक भारत एक विकसित राष्ट्र बन जाएगा। जलवायु परिवर्तन और कम उत्पादकता की चुनौतियों से निपटने के लिए शिक्षा एक अहम भूमिका निभाएगी। आईसीएआर के उप महानिदेशक (कृषि शिक्षा) डाक्टर आरसी अग्रवाल ने कहा, “एनईपी 2020 और यूएन-एसडीजी के दिशानिर्देश के मुताबिक कृषि उच्च शिक्षा को बढ़ाएं। ई-लर्निंग और ई-गवर्नेंस एप्लीकेशंस सभी कृषि विश्वविद्यालयों की पहुंच में हैं, इन सभी के पास स्मार्ट क्लासरूम, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग सुविधाएं और वर्चुअल रीयल्टी एक्सपीरियंस लैब्स हैं। छियासी प्रतिशत कृषि विश्वविद्यालयों के पास अकादमिक प्रबंधन प्रणाली है, वहीं 90 प्रतिशत के पास कैंपस में वाईफाई है और 92 प्रतिशत के पास हाई-स्पीड इंटरनेट कनेक्टिविटी है।