जयपुर. कई कंपनियां अपने कर्मचारियों के PF में योगदान का अपना हिस्सा कम रखना चाहती हैं। इसके लिए वे कर्मचारियों की बेसिक सैलरी कम रखती हैं। वे उन्हें स्पेशल अलाउन्स के रूप में सैलरी के बड़े हिस्से का भुगतान करती हैं। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद उनकी इस कवायद पर रोक लगने जा रही है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि कंपनियों के पीएफ के कैलकुलेशन में स्पेशल एलाउन्स को शामिल करना होगा। इसके बाद कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ या EPFO) ने भी इस नियम को सख्ती से लागू करने का फैसला किया है। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) उन कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई करेगा जो भविष्य निधि (पीएफ या PF) की गणना में विशेष भत्ते/स्पेशल अलाउन्स को मूल वेतन में शामिल नहीं करेंगी। अब तक कंपनियां अपने कर्मियों की PF गणना में मूल वेतन में विशेष भत्ते को शामिल नहीं करती थीं। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि कर्मचारियों के भविष्य निधि (PF) के कैलकुलेशन में विशेष भत्ता मूल वेतन का हिस्सा होगा। उसने कहा है कि संस्थान (कंपनियां) बेसिक सैलरी से स्पेशल अलाउंस को अलग नहीं कर सकते। प्रोविडेंट फंड (PF) डिडक्शन के कैलकुलेशन के लिए उन्हें इसे शामिल करना होगा। इम्पलॉई को अपने मूल वेतन का 12% हिस्सा सामाजिक सुरक्षा योजना मद में EPF में देना होता है। EPF में इतना ही योगदान नियोक्ता भी करता है। इस मामले से जुड़े एक सूत्र ने कहा सुप्रीम कोर्ट के फैसले को देखते हुए EPFO उन कंपनियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की तैयारी में है जो EPF योगदान के लिए विशेष भत्ते को उसमें शामिल नहीं करते। EPFO अभी सुप्रीम कोर्ट के फैसले का अध्ययन कर रहा है और उसे लागू करने के लिए जल्दी ही पूरा प्लान बनाएगा।