नयी दिल्ली. एरियल इंडिया (Ariel India) ने पिछले 7 सालों के दौरान देश के सभी परिवारों में घरेलू कामकाज के असमान तरीके से विभाजन के बारे में लगातार बातचीत को बढ़ावा देना और ज्यादा-से-ज्यादा संख्या में पुरुषों से घरेलू कामकाज में हाथ बटाने का अनुरोध करना जारी रखा है। 2014 में एरियल की इस मुहिम की शुरुआत से पहले तक, 79% पुरुषों का ऐसा लगता था कि घरेलू कामकाज सिर्फ महिलाओं की जिम्मेदारी है।
पुरुष बदलाव के लिए पूरी तरह तैयार
हालाँकि, बीते कुछ सालों में लाखों पुरुष अपनी जिम्मेदारी निभाने के लिए आगे आए हैं, जिससे यह संख्या लगातार घटकर 41% हो गई है। यह आंकड़ा दर्शाता है कि आज के दौर के पुरुष बदलाव के लिए पूरी तरह तैयार हैं और अपनी ओर से हरसंभव कोशिश कर रहे हैं, साथ ही वे रोजमर्रा के कामकाज में हाथ बटाते हुए अपनी जिम्मेदारियों को बखूबी निभाते हैं।
27%* महिलाएँ मानती : पति घरेलू कामकाज में उनका हाथ बटाते
उत्सव और जश्न का दौर फिर से लौट आया है, जब परिवार के लोग साथ मिलकर भोजन का आनंद लेते हैं, त्योहारों की खुशियां मनाते हैं, और धूमधाम से पारिवारिक समारोहों का वजन करते हैं। लेकिन इस बात को अक्सर नज़रअंदाज़ कर दिया जाता है कि उत्सव के दौरान कपड़े धोने, घर की साफ-सफाई या खाना पकाने जैसे घरेलू काम काफी बढ़ जाते हैं और इस तरह के काम का बोझ सभी पर एक-समान नहीं होता है। एक तीसरे पक्ष द्वारा स्वतंत्र रूप से किए गए एक नए अध्ययन के नतीजे बेहद चौंकाने वाले हैं, जिसके अनुसार केवल 27%* महिलाएँ मानती हैं कि ऐसे मौकों पर उनके पति घरेलू कामकाज में उनका हाथ बटाते हैं। इसके चलते महिलाओं को उत्सव में समान रूप से भाग लेने से का मौका नहीं मिलता है।
महिलाओं की दिल की बात को समझने की कोशिश
एरियल ने अपनी नई सेलिब्रेट इक्वल फिल्म (Ariel India ad) के जरिए महिलाओं की दिल की बात को समझने की कोशिश की है, जो यह सवाल उठाती है कि – ‘क्या बराबरी का अवसर दिए बिना जश्न मनाना जायज है?’ इस फिल्म में परिवार के भोजन के बाद के दृश्य को दिखाया गया है जिसमें पुरुष बैठकर अपने फोन को ब्राउज़ करता हुआ नजर आता है, जबकि महिला मेज की सफाई के साथ-साथ अपने बच्चे को देखभाल कर रही है।
उत्सव एवं जश्न के मौके पर पत्नी घर के कामकाज कर रही
वह शख्स अपनी पत्नी से फैमिली ग्रुप पर मिले फोटो के बारे में बताता पूछता है, जो उसी दिन रात के भोजन से पहले की तस्वीरें हैं। वह महिला अपने पति को एक ऐसी तस्वीर ढूंढने के लिए कहती है, जिसमें वह भी उत्सव में शामिल नजर आ रही हो। ज्यादातर तस्वीरों में यही दिखता है कि वह पीछे घर के कामकाज कर रही है और उत्सव एवं जश्न के मौके पर परिवार के साथ शामिल नहीं हो पाई है।