jaipur. आरबीआई के स्ट्रक्चरल मॉडल इस बात का संकेत देते हैं कि अगले वित्त वर्ष यानी 2023-24 में औसत खुदरा महंगाई दर (CPI based retail inflation) 5.2 फीसदी रह सकती है। मौजूदा वित्त वर्ष के लिए आरबीआई के अनुमान 6.7 फीसदी से यह कम है लेकिन केंद्रीय बैंक के लक्ष्य (टॉलरेंस बैंड) यानी चार फीसदी से ज्यादा है।
आरबीआई की सितंबर की मॉनेटरी पॉलिसी रिपोर्ट के मुताबिक वित्त वर्ष 2023-24 की चौथी तिमाही के लिए खुदरा महंगाई दर के 5.2 फीसदी रहने का अनुमान है।
मॉनेटरी पॉलिसी के ऐलान के बाद मीडिया को संबोधित करते हुए आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने शुक्रवार को कहा कि अगले दो साल में खुदरा महंगाई दर 4 फीसदी के लक्ष्य के आस-पास आ जाएगी।
वित्त वर्ष 2023-24 के लिए आरबीआई के स्ट्रक्चरल मॉडल, रियल जीडीपी ग्रोथ (real GDP growth) के 6.5 फीसदी रहने का संकेत देते हैं, जो मौजूदा वित्त वर्ष के अनुमान यानी 7 फीसदी से कम है।
आरबीआई के अनुसार अगले वित्त वर्ष के लिए 5.2 फीसदी का औसत महंगाई अनुमान यह मानकर किया गया है कि मानसून सामान्य होगा, आपूर्ति को लेकर व्यवधान दूर होंगे, और कोई प्रतिकूल नीतिगत बदलाव नहीं होंगे।
इससे पहले शुक्रवार को मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी ने रीपो रेट को 50 बेसिस प्वाइंट यानी 0.5 फीसदी बढ़ाकर 5.90 फीसदी करने की घोषणा की। रीपो रेट में बढ़ोतरी का उद्देश्य महंगाई को आरबीआई के लक्ष्य के आस-पास लाना है। आरबीआई की तरफ से महंगाई को लेकर लक्ष्य (टॉलरेंस बैंड) 4 फीसदी तक रखने का है, जिसमें 2 फीसदी नीचे या ऊपर जाने की गुंजाइश है।