jaipur| रूस से छूट पर मिल रहे यूराल ग्रेड के कच्चे तेल की मांग भारत में लगातार बढ़ रही है। इसलिए अनुमान है कि भारत ने इस महीने रूस से समुद्र के रास्ते तेल के सबसे बड़े आयातक के रूप में चीन को पीछे छोड़ दिया है। लंदन की ऊर्जा विश्लेषक फर्म वॉर्टेक्सा के मुताबिक भारत में रूस से कच्चे तेल का आयात जुलाई में 10 लाख बैरल प्रतिदिन के पार निकलने जा रहा है, जिसमें यूराल क्रूड की हिस्सेदारी पहले 25 दिनों के दौरान 8.80 लाख बैरल प्रतिदिन रही है।
माना जा रहा है कि चीन ने जुलाई में रूस से समुद्र के रास्ते कच्चे तेल का आयात भारत के मुकाबले कम किया है। हालांकि चीन के सटीक आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं। वॉर्टेक्सा में चीन की विश्लेषक एमा ली ने कहा, ‘चीन और भारत लगातार समुद्री रास्ते से रूसी कच्चा तेल खरीद रहे हैं और भारत के जुलाई में सबसे बड़े आयातक के रूप में चीन से आगे निकलने के आसार हैं। ऐसा पहली बार हुआ है, जब भारत समुद्री मार्ग से रूस से आने वाले कच्चे तेल के आयात में चीन से आगे निकल गया है।’
इस महीने जहाजों से रोजाना 3 लाख बैरल रूसी यूराल क्रूड चीन पहुंचा है। चीन रूसी ईएसपीओ ब्लेंड कच्चे तेल का आयात करता है, जिसे उसके स्वतंत्र रिफाइनर, खास तौर पर शानदोंग के रिफाइनर पसंद करते हैं। चीन लंबी अवधि के करार के तहत पाइपलाइन से भी ईएसपीओ ब्लेंड मंगाता है।
रूस से पाइपलाइन के जरिये भेजे जाने वाले कच्चे तेल को इस अध्ययन में शामिल नहीं किया गया है। मगर इसका हिस्सा रूस से निर्यात होने वाले कुल कच्चे तेल में केवल 10 फीसदी होने का अनुमान है। शेष 90 फीसदी तेल समुद्री जहाजों के जरिये भेजा जाता है। इसी पर वॉर्टेक्सा की नजर होती है। रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू होने से पहले रूस से पाइपलाइन के जरिये भेजे जाने वाले कच्चे तेल की हिस्सेदारी 30 फीसदी थी। इसमें से ज्यादातर यूरोप को जाता था, जो अब घटकर लगभग शून्य हो गया है। भारत मुख्य रूप से यूराल ग्रेड की खरीदारी करता है, जो काला सागर के बंदरगाहों और भूमध्यसागर से भेजा जाता है। भारत ने एक अलग रूसी ग्रेड के तेल का आयात भी शुरू कर दिया है, जो सुदूर पूर्व से आता है।