हैदराबाद| भारत के सबसे तेजी से बढ़ते बहुक्षेत्रीय शैक्षणिक संस्थान महिन्द्रा युनिवर्सिटी ने आज बहादुरपल्ली में युनिवर्सिटी कैंपस में अपना प्रथम दीक्षांत समारोह आयोजित किया। इस दीक्षांत समारोह को मुख्य अतिथि तेलंगाना सरकार में मंत्री श्री केटी रामा राव ने संबोधित किया। समारोह की अध्यक्षता महिन्द्रा युनिवर्सिटी के कुलाधिपति श्री आनंद महिन्द्रा ने की और इस अवसर पर भारत बायोटेक इंटरनेशनल के चेयरमैन डॉक्टर कृष्णा एल्ला विशिष्ट अतिथि के तौर पर उपस्थिति रहे।
अनुसंधान एवं विकास और उच्च शिक्षा पर केंद्रित होकर अंतर क्षेत्रीय वैश्विक शिक्षा का एजेंडा लेकर चल रही महिन्द्रा युनिवर्सिटी ने अपने कैंपस में सेंटर ऑफ एक्सिलेंस का निर्माण करने के लिए डिजिटल परिवर्तन, परामर्श एवं बिजनेस रीइंजीनियरिंग सेवाएं एवं समाधान उपलब्ध कराने वाली अग्रणी कंपनी टेक महिन्द्रा के साथ एक सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किया है। इस सेंटर में क्वांटम कंप्यूटिंग, एक्सएआई और मेटावर्स जैसी नयी पीढ़ी की प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में संयुक्त रूप से आरएंडडी की सुविधा होगी। इस साझीदारी का लक्ष्य नयी पीढ़ी की प्रौद्योगिकियों में कौशल की कमी को दूर करने के लिए कौशल विकास करना है जिससे अधिक संख्या में रोजगार के अवसरों का सृजन होगा।
श्री केटी रामा राव ने अपने दीक्षांत संबोधन में कहा, “जहां दुनिया वृद्धावस्था की ओर बढ़ रही है, वहीं भारत युवा हो रहा है और इस देश में युवा नए विचारों और ऊर्जा से लबरेज है और वह सही मायने में वैश्विक आकांक्षा के साथ दुनिया से मुकाबला करना चाहता है। हम अपने देश की स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ के बहुत करीब हैं और यह ऐसा अवसर है जब हमें हमारे भविष्य के बारे में सोचना है। भारतीय युवाओं में आधुनिक दुनिया के भविष्य को आकार देने की अनूठी क्षमता है और उसके पास इसका अवसर भी है। मैं उम्मीद करता हूं कि आप में से प्रत्येक एक नवयुवक के तौर पर ना केवल महान ज्ञान और कौशल के साथ, बल्कि समाज की बेहतरी में योगदान करने की चाहत और एक बार फिर परिवर्तनकारी बनकर इस दुनिया में कदम रखेगा। मैं सभी विद्यार्थियों और अवार्ड धारकों को उनके उज्ज्वल भविष्य की शुभकामना देता हूं।“
श्री आनन्द महिन्द्रा ने कहा, “महिन्द्रा युनिवर्सिटी अपने सभी घटक संस्थानों में तालमेल बनाकर काम करने को प्रतिबद्ध है। एक अंतरक्षेत्रीय शिक्षा से पूरे दिमाग से सोचने की दिशा में तेजी लाने में मदद मिलेगी जिसमें विज्ञान एवं मानविकी दोनों शामिल हैं। भारत भावी शिक्षा के इस मॉडल के लिए एक वैश्विक केंद्र बनने की क्षमता रखता है।”