रैंडस्टैड इम्प्लॉयर ब्रांड रिसर्च (आरईबीआर) 2022 के नतीजे के मुताबिक दिग्गज प्रौद्योगिकी कंपनी माइक्रोसॉफ्ट इंडिया देश के ‘सबसे आकर्षक ब्रांड’ के तौर पर उभरी है। मर्सिडीज बेंज इंडिया इस साल रैंकिंग के पायदान पर ऊपर आते हुए पहली रनर अप बनी है और इसके बाद ई-कॉमर्स क्षेत्र की दिग्गज कंपनी एमेजॉन इंडिया का स्थान है।
माइक्रोसॉफ्ट इंडिया की वित्तीय स्थिति अच्छी है और बेहतर पहचान के साथ वेतन भी आकर्षक है और सर्वेक्षण के मुताबिक संगठन के लिए यह तीन प्रमुख कारकों में शामिल है।
रैंडस्टैड इंडिया के सालाना नियोक्ता ब्रांडिंग शोध से पता चला है कि महामारी के बाद विभिन्न क्षेत्रों में कर्मचारियों की धारणा में एक बड़ा बदलाव आया है। शोध में इस साल 70 फीसदी से अधिक वैश्विक अर्थव्यवस्था कवर की गई है और 31 देशों तथा 1.63 लाख प्रतिक्रिया देने वालों ने इसमें हिस्सा लिया। इस शोध में यह बात सामने आई है कि 10 भारतीय कर्मचारियों (88 फीसदी) में से 9 का मानना है कि उनके लिए प्रशिक्षण और व्यक्तिगत करियर वृद्धि अहम है।
रैंडस्टैड इंडिया के प्रबंध निदेशक (एमडी) और मुख्य कार्याधिकारी (सीईओ) विश्वनाथ पी एस कहते हैं, ‘पिछले कुछ सालों में नियोक्ताओं की ब्रांडिंग की अवधारणा उभर कर आई है। अब केवल ब्रांड पहचान बनाना ही पर्याप्त नहीं है बल्कि अब अधिक सार्थक कनेक्शन तैयार करना अहम होगा। इसके साथ ही ब्रांड से जुड़े आकर्षक वादे और उद्देश्य पर भी जोर दिया जाना चाहिए ताकि बिना किसी बाधा के कर्मचारी भविष्य की संभावनाएं तलाश सकें। संगठन अब यह महसूस कर रहे हैं कि प्रासंगिक तरीके से लोगों को जोड़ना जरूरी है और बेहतर अनुभव से ही नियोक्ता कंपनी एक प्रमुख नियोक्ता ब्रांड बन सकती है।’
समान तरह के रुझानों को दर्शाते हुए रिपोर्ट में यह कहा गया है कि 2021 में जब दुनिया में नए तरह के बदलाव दिख रहे थे तब तीन भारतीयों में से दो के लिए काम और करियर के मकसद का अर्थ बेहद अहम हो गया। पुरुषों के मुकाबले महिलाएं भी इस पर गंभीरता से विचार कर रही है (72 फीसदी बनाम 62 फीसदी) और अधिक शिक्षित (70 फीसदी) तथा 25-34 साल (72 फीसदी) के कर्मचारी भी ऐसा ही महसूस करते हैं।
इस साल भी भारतीय कर्मचारियों का मानना है कि कंपनी का चयन करते वक्त काम और जीवन के बीच संतुलन (63 फीसदी) बनाना अहम है। यह रुझान अधिक शिक्षित (66 फीसदी) और 35 साल से अधिक उम्र के कर्मचारियों (66 फीसदी) में देखा जा रहा है। इसके बाद आकर्षक वेतन और लाभ (60 फीसदी) तथा संगठन की प्रतिष्ठा (60) भी अहम है।
सर्वेक्षण में यह बात सामने आई है कि दफ्तर में काम करने वाले 66 फीसदी कर्मचारियों का मानना है कि काम-जीवन का संतुलन अहम है जबकि 54 फीसदी कामगार श्रेणी के लोगों का मानना है कि किसी कंपनी की प्रतिष्ठा के साथ ही उसकी माली हालत भी अहम है। ऐसे श्रमिकों के लिए काम-जीवन के संतुलन, वेतन और लाभ जैसे मुद्दे अहम नहीं हैं।
घर से काम करने का रुझान
दिलचस्प बात यह है कि भारत में घर से काम करने के रुझान में कमी आई है और यह 2021 के 84 फीसदी से घटकर 2022 में 73 फीसदी हो गया है। सर्वेक्षण में इस बात का खुलासा हुआ है कि घर से काम करने का रुझान पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में (76 फीसदी बनाम 69 फीसदी) ज्यादा है। घर से काम कर रहे करीब
98 फीसदी कर्मचारियों का मानना है कि वे भविष्य में भी ऐसा करते रहेंगे हालांकि इस वक्त यह जिस स्तर पर है यह उतना नहीं होगा।