Jaipur| वर्ष 2020-21 तक तीन सालों के दौरान चीन की स्मार्टफोन निर्माता कंपनी वीवो की भारतीय इकाई ने कुल 66.985 करोड़ रुपये की कुल कमाई की। हालांकि परिचालन से होने वाली आमदनी में 2020-21 में एक फीसदी तक की कमी आई। वर्ष 2019-20 में कंपनी की आमदनी में 45 फीसदी की तेजी आई और यह 17,201.7 करोड़ रुपये से बढ़कर 25,060 करोड़ रुपये हो गई। प्रवर्तन निदेशालय ने जांच में पाया कि वीवो ने 1.2 लाख करोड़ रुपये के आधे से अधिक का हस्तांतरण चीन को कर दिया ताकि कर का भुगतान न करना पड़े। एजेंसी ने मोबाइल विनिर्माता कंपनी के 119 बैंक खाते में रखे गए 465 करोड़ रुपये से अधिक के फंड पर पाबंदी कसी।
वीवो इंडिया की दिक्कतें बढ़ी हैं क्योंकि चीन के उत्पादों के खिलाफ लोगों के गुस्से के बावजूद वीवो जैसी कंपनियों ने भारत में अपनी बाजार हिस्सेदारी बढ़ाई है।
काउंटरप्वाइंट रिसर्च के डेटा के विश्लेषण से यह अंदाजा भारत के स्मार्टफोन बाजार में वीवो की हिस्सेदारी 2017 के 10 प्रतिशत से बढ़कर 2021 में 15 फीसदी हो गई है। 2022 की पहली तिमाही में देश के स्मार्टफोन बाजार में कंपनी की हिस्सेदारी 15 प्रतिशत पर स्थिर है।
दूसरी ओर वीवो के मुकाबले ऑप्पो की हिस्सेदारी में समान तरह की वृद्धि नहीं हुई। इसकी हिस्सेदारी 2017 के 9 फीसदी से बढ़कर 2021 में 10 फीसदी हो गई। इसकी तुलना में रियलमी की हिस्सेदारी 2018 के 4 फीसदी से बढ़कर 2021 में 15 फीसदी हो गई। वर्ष 2022 की पहली तिमाही में रियलमी की हिस्सेदारी बढ़कर 16 फीसदी हो गई।
ये तीनों कंपनियां बीबीके इलेक्ट्रॉनिक्स की हैं जो चीन की बहुराष्ट्रीय कंपनी है। डेटा से संकेत मिलते हैं कि तीन स्मार्टफोन विनिर्माताओं की हिस्सेदारी इस अवधि के दौरान लगभग दोगुनी हो गई है। 2022 की पहली तिमाही में इनकी बाजार हिस्सेदारी 40 फीसदी तक है।
इस बीच अन्य चीनी स्मार्टफोन निर्माता कंपनी श्याओमी की धार अब कमजोर पड़ रही है जबकि एक वक्त के दौरान इसकी हिस्सेदारी लगभग दोगुनी हुई थी और यह 2017 के 19 फीसदी से बढ़कर 2018 में 28 फीसदी हो गई। वर्ष 2022 की पहली तिमाही के दौरान बाजार में इसकी हिस्सेदारी 23 फीसदी थी।
सैमसंग का प्रदर्शन भी अच्छा नहीं रहा और इसकी 2017 की 24 फीसदी वाली हिस्सेदारी 2021 में घटकर 18 फीसदी रह गई। हालांकि इस साल पहली तिमाही के दौरान सैमसंग की हिस्सेदारी बढ़कर 20 फीसदी हो गई। महामारी के दौरान कंपनी ने आपूर्ति श्रृंखला से जुड़ी दिक्कतों से खुद को बचाने की कोशिश की जिसके चलते कंपनी को दिक्कत हो रही थी। अब उसके नतीजे देखने को मिल रहे हैं।
वीवो की सफलता कोई स्थानीय स्तर तक ही सीमित नहीं है। गार्टनर के मुताबिक वैश्विक बिक्री में भी वीवो की हिस्सेदारी 2020 के 7.9 फीसदी से बढ़कर 2021 में 9.5 फीसदी हो गई है।