नई दिल्ली| बिजनेस स्टैंडर्ड पूंजीगत खर्च के रास्ते मांग बढ़ाएगी सरकारकेंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बिज़नेस स्टैंडर्ड के साथ बातचीत में आज कहा कि अर्थव्यवस्था में मांग बढ़ाने के लिए सरकार अपने सार्वजनिक पूंजीगत व्यय कार्यक्रम का ही सहारा लेगी और उसे किसी खास क्षेत्र के लिए राजकोषीय उपाय शायद ही करने पड़ें। विभिन्न मुद्दों पर विस्तार से बात करते हुए उन्होंने कहा कि केंद्र जल्द ही सार्वजनिक क्षेत्र के एक बैंक के निजीकरण को अंतिम रूप दे देगा। साथ ही उन्होंने कहा कि बाहरी चुनौतियों के बावजूद राजकोषीय घाटे और वृद्धि की स्थिति इस साल काफी सहज रही। सीतारमण ने कहा, ‘हमने पूंजीगत व्यय का रास्ता चुना है और हम उसी पर चलते रहेंगे। हमने महामारी के दौरान भी अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए पूंजीगत संपत्तियों पर खर्च का तरीका ही अपनाया। राज्यों ने भी दिखाया कि वे इस व्यय का इस्तेमाल कर सकते हैं।’ वित्त वर्ष 2023 में केंद्र का पूंजीगत व्यय 7.5 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान है। वित्त मंत्री ने कहा कि इसमें से 1 लाख करोड़ रुपये राज्यों को पूंजीगत व्यय के लिए दीर्घावधि, ब्याज-मुक्त ऋण के रूप में दे दिए जाएंगे।
1 लाख करोड़ रुपये की यह पूरी राशि राज्यों को जुलाई-सितंबर तिमाही में दी जा सकती है। सीतारमण ने कहा, ‘कई राज्यों ने नई और पुरानी परियोजनाओं पर पूंजीगत व्यय के लिए अपनी योजना तैयार भी कर ली हैं। 1 लाख करोड़ रुपये के ऋण आवंटन के नियम अपैल के अंत में बनाए गए थे और राज्य मई में अपनी परियोजनाएं मूल्यांकन के लिए लेकर आए थे।’ उन्होंने कहा कि 1 लाख करोड़ रुपये की राशि अभी राज्यों ने ली नहीं है मगर उन्हें पूरा भरोसा है कि दूसरी तिमाही खत्म होने से पहले राज्य यह रकम ले लेंगे।’