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दुनिया भर में तेजी से फैल रहा निजी नेटवर्क का जाल

नई दिल्ली: मं​त्रिमंडल का ‘निजी नेटवर्क’ को मंजूरी देना विवाद का सबब बन गया है। दूरसंचार कंपनियां इस फैसले का कड़ा विरोध कर रही हैं। मगर ऐसे नेटवर्क दुनिया में तेजी से बढ़ रहे हैं। ग्लोबल मोबाइल सप्लायर्स एसोसिएशन (जीएसए) ने मई 2022 में अपने सदस्यों के लिए रिपोर्ट जारी की थी, जिसके मुताबिक 794 ग्राहकों ने निजी नेटवर्क स्थापित किए हैं। इन नेटवर्क में से 37 फीसदी (297) 5जी पर चलते और इनमें से 75 फीसदी की केवल विनिर्माण में मौजूदगी है। दुनिया के कम से कम 25 देश पहले ही निजी नेटवर्क को मंजूरी दे चुके हैं या इस बारे में विचार कर रहे हैं। इसकी वजह यह है कि एंटरप्राइज ऐप्लिकेशन में ज्यादा विश्वसनीयता, ज्यादा साइबर सुरक्षा, एम2एम एप्लिकेशन में कम लेटेंसी और दूरसंचार कंपनियों पर निर्भरता के बजाय अपने नेटवर्क को चलाने में ज्यादा विकल्प एवं नियंत्रण की मांग की जा रही है।

जीएसए के मुताबिक रोचक बात यह है कि शुरुआती विरोध के बाद 70 दूरसंचार नेटवर्क ऑपरेटर निजी मोबाइल नेटवर्क परियोजनाओं से जुड़ भी चुके हैं। उदाहरण के लिए मर्सिडीज बेंज अपनी फैक्टरी में निजी नेटवर्क बना रही है, जिसके लिए उसने टेलीफोनिका के साथ करार किया है। इसके लिए उपकरण एरिक्सन से आ रहे हैं।

लुफ्थांसा की सहायक लुफ्थांसा टेक्नीक एजी ने घोषणा की है कि वह 5जी निजी नेटवर्क स्थापित कर रही है, जिसका परिचालन वोडाफोन पीएलसी करेगी। इसमें नोकिया के उपकरणों का इस्तेमाल होगा। अमेरिका में वेरिजोन भी नॉर्थ कैरोलाइना में कोर्निंग के विनिर्माण संयंत्र के लिए 5जी नेटवर्क मुहैया करा रही है। इसके शीर्ष अधिकारियों ने ​फियर्सवायरलेस डॉट कॉम की खबरों के आधार पर कहा है कि निजी नेटवर्क पर उनके पास तीन गुना अवसर हैं। जर्मनी में दूरसंचार कंपनियों ने भी निजी नेटवर्क लाइसेंस लिए हैं। इन कंपनियों में डॉयचे टेलीकॉम की टी-​सिस्टम्स, वेरिजोन जर्मनी, एलएस टेलीकॉम, टेलीफोनिका आदि शामिल हैं। मंत्रिमंडल की मंजूरी उन्हें भी ऐसा करने की मंजूरी देती है।

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