jaipur: अगले एक दशक में भारत में करोड़पतियों और अरबपतियों की संख्या में भारी इजाफा होने वाला है। हेनली ग्लोबल सिटिजन्स रिपोर्ट में यह अनुमान लगाया गया है। ग्लोबल सिटिजन्स रिपोर्ट दुनिया भर में धनाढ्य लोगों एवं निवेश से जुड़ी गतिविधियों पर नजर रखती है।
निवेश सलाहकार कंपनी हेनली ऐंड पार्टनर्स द्वारा जारी दूसरी तिमाही रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में अगले दस वर्षों के दौरान करोड़पतियों और अरबपतियों (संपत्ति अमेरिकी डॉलर में ) की संख्या में 80 प्रतिशत से अधिक इजाफा होगा। रिपोर्ट के अनुसार भारत की तुलना में अमेरिका में 20 प्रतिशत और फ्रांस, जर्मनी, इटली और ब्रिटेन प्रत्येक में ऐसे लोगों की संख्या में महज 10 प्रतिशत इजाफा होगा।
हालांकि न्यू वर्ल्ड वेल्थ के एक अनुमान के ताजा अनुमान के अनुसार 2033 में करोड़पतियों की शुद्ध संख्या (एक देश से दूसरे देश जाने वाले धनाढ्य व्यक्तियों की संख्या में अंतर) भारत के लिए कमजोर रह सकती है और इस लिहाज से भारत से करीब 8,000 धनाढय लोग दूसरे देश चले जाएंगे। ये आंकड़े हेनली प्राइवेट वेल्थ माइग्रेशन डैशबोर्ड पर उपलब्ध है।
न्यू वर्ल्ड वेल्थ में शोध प्रमुख ऐंड्रयू अमॉयल्स का कहना है कि धनाढ्य लोगों के निकलने संबंधी अनुमान भारत के लिए चिंता की बात नहीं है क्योंकि भारत में जितनी संख्या में करोड़पति दूसरे देश जाते हैं उससे कहीं अधिक संख्या में यहां नए धनाढ्य लोग सामने आते हैं। उन्होंने कहा, ‘ऐसे कई मामले भी हैं जिनमें धनाढ्य लोग भारत लौटते हैं। भारत में जीवन स्तर में और सुधार होने के बाद बडी तादाद में धनाढ्य लोग भारत लौटेंगे।
भारत के लोगों की संपत्ति में वृद्धि से जुड़े अनुमान काफी मजबूत हैं।’ अमॉयल्स ने कहा कि 2031 तक भारत में धनाढ्य लोगों की आबादी 80 प्रतिशत बढ़ जाएगी। उन्होंने कहा इससे भारत दुनिया में सर्वाधिक तेजी से बढ़ता धन बाजार हो जाएगा। उन्होंने कहा कि स्थानीय स्तर पर वित्तीय सेवाओं, स्वास्थ्य सुविधाओं और तकनीकी क्षेत्रों में मजबूत वृदि्ध से संभव हो पाएगा।
हेनली ऐंड पाटनर्स में समूह प्रमुख (कारोबार विकास) निर्भय हांडा ने कहा कि पहली तिमाही में दक्षिण एशिया में निवेश से जुड़े अवसरों को लेकर लोगों के आने में दिलचस्पी बढ़ी है। हांडा ने कहा, राजनीतिक, आर्थिक या सुरक्षा संबंधी किसी तरह की अनिश्चितता लोगों को एक सुरक्षित एवं धन उपार्जन के लिए माकूल जगह तलाशने के लिए प्रेरित करती है। श्रीलंका और पाकिस्तान में पिछले कुछ समय से ऐसा दिख रहा है।
इससे भी अहम बात यह है कि कई विकासशील देशों में राजनीतिक ध्रुवीकरण हो गया है और राजकोषीय नीति को लेकर कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। द्विपक्षीय व्यापार संबंधों में बदलते रुख उद्यमियों के समक्ष कई तरह की चुनौतियां पेश कर रहे हैं और अपने कारोबार के भविष्य को लेकर उनके मन में अनिश्चितता का वातावरण बन गया है। इससे बचने का रास्ता खोजने के लिए वे दूसरे सुरक्षित देशों की तलाश कर रहे हैं ताकि कारोबार के लिए केवल उनके अपने देशों पर निर्भरता नहीं रहे।