मुंबई: भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) से संबंधित एक विशेषज्ञ समूह गठित करेगा ताकि उनके समक्ष आने वाली दिक्कतों का सीधे ही समाधान किया जा सके और देश में पूंजी की आवक बढ़ाई जा सके।
सूत्रों ने कहा कि बाजार नियामक ने देश में बुनियादी ढांचे के लिए वित्त पोषण को बढ़ावा देने के लिए रियल एस्टेट ऐंड इन्फ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट (रीट्स ऐंड इनविट्स) जैसी मिश्रित योजनाओं के जरिये धन जुटाने पर भी एक सलाहकार समिति गठित करने की योजना बनाई है। इस बारे में जानकारी रखने वाले लोगों ने कहा कि दो नई सलाहकार समितियां गठित करने का कदम सेबी की नई चेयरपर्सन माधवी पुरी बुच द्वारा बाजार के विकास के लिए किए गए ढांचागत बदलावों का हिस्सा हैं।
एक नियामकीय अधिकारी ने कहा, ‘सलाहकार समिति गठित करने से यह सुनिश्चित होगा कि अहम क्षेत्रों पर ध्यान दिया जा रहा है। इस समय एफपीआई के पक्ष पर विभिन्न समितियों के जरिये विचार किया जाता है। हालांकि यह फीडबैक हासिल करने के लिए अलग-अलग के बजाय एकल खिड़की के रूप में काम करेगी।’
विशेषज्ञ समिति बनाने का कदम ऐसे समय उठाया गया है, जब घरेलू बाजारों से विदेशी पूंजी की निकासी हो रही है। अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने मौद्रिक नीति सख्त की है। ऐसे में एफपीआई ने अक्टूबर से भारतीय शेयर बाजार से करीब 2 लाख करोड़ रुपये (25.2 अरब डॉलर) की निकासी की है। हालांकि देसी निवेशकों के तगड़ी लिवाली इस बिकवाली की चोट को कुछ कम करने में मददगार रही है। हालांकि भारत को पूंजी की भारी जरूरत है, इसलिए लंबी अवधि में विदेशी पूंजी की दरकार है। विशेषज्ञ समिति ने कहा कि सलाहकार समिति अहम नीतियों के क्रियान्वयन को आसान बनाने में मदद देगी। पहले भी जब सेबी ने टी प्लस 1 निपटान प्रक्रिया, अनिवासी भारतीयों (एनआरआई) के लाभार्थी स्वामी होने, ब्लॉक लेनदेन करने और गैर-आईओएससीओ क्षेत्रों से एफपीआई के साथ लेनदेन करने पर रोक जैसे उपाय लागू किए गए थे तो नियामक और एफपीआई के बीच मतभेद सामने आए थे।