नई दिल्ली: राजस्व विभाग बैंकों और क्रिप्टो करेंसी एक्सचेंजों को वर्चुअल डिजिटल संपत्तियों के लेनदेन की जानकारी देने के लिए कह सकता है क्योंकि सरकार 1 अप्रैल से क्रिप्टोकरेंसी से होने वाले पूंजीगत लाभ पर कर लगाना शुरू कर रही है।
अब तक कर विभाग वर्चुअल डिजिटल संपत्तियों के लेनदेन के स्वैच्छिक खुलासे पर भरोसा कर रहा था। लेकिन नई कराधान व्यवस्था लागू होने के बाद डिजिटल संपत्तियों की खरीद-बिक्री को सालाना सूचना विवरण में दिखाना होगा। वर्चुअल डिजिटल संपत्तियों से संबंधित लेनदेन का विवरण प्राधिकरण के पास तत्काल उपलब्ध होने के बाद इस तरह के लेनदेन से राजस्व चोरी की आशंका कम होगी या ऐसे लेनदेन पर नजर रखना भी आसान हो जाएगा।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘कराधान नियम लागू होने के बाद आयकर विभाग विचार कर सकता है कि डिजिटल संपत्तियों के लेनदेन की जानकारी को विशिष्ट वित्तीय लेनदेन में शामिल करना अनिवार्य किया जाए या नहीं।’ हालांकि विशिष्ट वित्तीय लेनदेन के तहत आम तौर पर तय सीमा से अधिक के लेनदेन की जानकारी दी जाती है, जिसमें किसी वित्त वर्ष में करदाता पर निवेश और खर्च आदि भी शामिल होता है। उक्त अधिकारी ने कहा, ‘हमें सलाह-मशविरा करना होगा और देखना होगा कि जानकारी के मकसद से कोई सीमा तय की जाए या नहीं।’
कर विशेषज्ञों का कहना है कि वर्चुअल डिजिटल संपत्तियों के लेनदेन को सालाना सूचना विवरण का हिस्सा बनाने से जानकारी में विसंगति की आशंका कम होगी। अगर विसंगति (बेमेल) होती है तो करदाता इसके बारे में विभाग को सूचित कर सकता है। अगर करदाता विसंगति की सूचना नहीं देता है तो माना जा सकता है कि सालाना सूचना विवरण में दी गई जानकारी सही है और कर विभाग करदाता से कर रिटर्न और सालाना सूचना विवरण में विसंगति के बारे में पूछ सकता है।