मुंबई: एमेजॉन, फ्यूचर समूह और रिलायंस इंडस्ट्रीज के बीच फ्यूचर की संपत्तियों पर जारी कानूनी विवाद अदालत से बाहर निपटाने के लिए शुरू हुई बातचीत का कोई नतीजा नहीं निकला। फ्यूचर कूपन्स और एमेजॉन के वकीलों ने सर्वोच्च न्यायालय को इसकी जानकारी दी।
3 मार्च को एमेजॉन ने कानूनी विवाद सुलझाने के लिए फ्यूचर समूह और रिलायंस इंडस्ट्रीज के साथ बातचीत का प्रस्ताव दिया था, जिस पर अदालत ने उन्हें 15 मार्च तक सुलह प्रस्ताव के साथ आने की मोहलत दी थी। एमेजॉन ने सर्वोच्च न्यायालय से यह भी कहा था कि वह सिंगापुर में मध्यस्थता कार्रवाई शुरू करना चाहती है जिस पर दिल्ली उच्च न्यायालय ने रोक लगा दी थी। इस पर फ्यूचर समूह ने भी सहमति जताई थी। एमेजॉन के वकील ने तर्क दिया कि सुनवाई के दौरान सर्वोच्च न्यायालय को बताया गया था कि कोई संपत्ति हस्तांतरित नहीं की जाएगी लेकिन इसका उल्लंघन किया गया है। हालांकि फ्यूचर के वकील ने कहा कि कोई संपत्ति हस्तांतरित नहीं की गई है और फ्यूचर के स्टोरों का किराया दो साल से भी ज्यादा अरसे से चुकाया नहीं गया है। उन्होंने कहा कि फ्यूचर के पास किराया देने के लिए पैसे नहीं हैं और संपत्ति मालिक फ्यूचर के स्टोरों का पट्टा निलंबित कर रहे हैं।
अदालत ने एमेजॉन को अंतरिम आवेदन दायर करने की अनुमति दे दी और मामले की सुनवाई 16 मार्च तक के लिए टाल दिया गया। सूत्रों के अनुसार एमेजॉन मध्यस्थता पंचाट में सुनवाई शुरू करने की अनुमति के लिए अंतरिम आवेदन दायर करेगी। एमेजॉन ने मंगलवार को समाचारपत्र में विज्ञापन देकर फ्यूचर रिटेल और रिलायंस इंडस्ट्रीज पर स्टोरों के हस्तांतरण को लेकर धोखाधड़ी का आरोप लगाया है। उसने कहा है कि रिलायंस इंडस्ट्रीज ने 25 फरवरी से फ्यूचर समूह के स्टोरों का अधिग्रहण करना शुरू कर दिया है।