नई दिल्ली.: सवेरे जब राजनीतिक रूप से बेहद अहम उत्तर प्रदेश और चार अन्य राज्यों के विधानसभा चुनावों के लिए मतगणना शुरू हुई तो भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को एक बार फिर उत्तर प्रदेश की सत्ता मिलने का अंदाजा सभी को था मगर कम लोगों ने ही सोचा होगा कि पार्टी लगातार दूसरी बार प्रचंड बहुमत हासिल कर लेगी। उत्तराखंड और मणिपुर में भी ऐसे शानदार प्रदर्शन और गोवा में सरकार बनाने लायक सीटों के बारे में तो शर्तिया कोई नहीं सोच रहा था। किंतु चारों राज्यों में भाजपा का तूफान चला और उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी (सपा) के अलावा कहीं और कोई दूसरा दल उसे टक्कर ही नहीं दे पाया।
उत्तराखंड में सभी एक्जिट पोल के अनुमान को गलत साबित करते हुए 70 सीटों में से भाजपा ने 48 पर अपना परचम लहराया। हालांकि भाजपा के मुख्यमंत्री पुष्कर धामी और कांग्रेस के दिग्गज नेता हरीश रावत को शिकस्त का सामना करना पड़ा। गोवा की 40 सदस्यों वाली विधानसभा में भाजपा 20 पर जीत हासिल कर चुकी है और तीन निर्दलीय विधायकों के साथ सरकार बनाने की तैयारी में है। मणिपुर में भी भाजपा स्पष्ट सरकार बनाने जा रही है। भगवा पार्टी के लिए सबसे शानदार नतीजे उत्तर प्रदेश में आए, जहां पार्टी दूसरी बार प्रचंड बहुमत के साथ सरकार बनाने जा रही है। कई दशक में पहली बार उत्तर प्रदेश में कोई पार्टी लगातार दूसरी बार सत्ता में आ रही है। समाचार लिखे जाने तक 403 सदस्यों वाली विधानसभा में भाजपा और सहयोगियों ने 219 सीट जीत ली थी और 54 पर आगे चल रही थीं। हालांकि 2017 की तुलना में उसे 60 सीटों का नुकसान हुआ है लेकिन मत प्रतिशत 39 फीसदी से बढ़कर 41 फीसदी हो गया। राज्य में मुख्य विपक्षी दल सपा का प्रदर्शन पिछले चुनाव की तुलना में काफी बेहतर रहा मगर वह बहुमत से बहुत पीछे रह गई। सपा को 111 सीटों से ही संतोष करना पड़ा किंतु कांग्रेस और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के काफी वोट उसकी ओर ढलकते दिखे हैं।
भाजपा के तूफान के बीच पंजाब में आम आदमी पार्टी (आप) ने सबको चौंका दिया। आप ने कांग्रेस और शिरोमणि अकाली दल का लगभग सूपड़ा साफ करते हुए 117 सीटों में से 91 सीटें झटक लीं। पंजाब के ज्यादातर बड़े नेताओं को हार का मुंह देखना पड़ा। अकाली दल के दिग्गज नेता और पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल तथा सुखबीर बादल, दो बार मुख्यमंत्री रहे कैप्टन अमरिंदर सिंह, मौजूदा मुख्यमंत्री चरनजीत सिंह चन्नी (दोनों सीटों पर) और कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्घू की करारी हार हुई है। इस चुनाव से स्पष्ट संदेश मिलता है कि विपक्ष एकजुट नहीं हुआ तो आगे भी उसे शिकस्त झेलनी होगी। नतीजों से पता चलता है कि मतदाताओं ने कानून-व्यवस्था में सुधार के भाजपा के दावे पर खूब भरोसा जताया है। साथ ही केंद्र और राज्य सरकार की कल्याणकारी योजनाओं खास तौर पर कोविड महामारी के दौरान चलीं योजनाओं को जनता ने सराहा है।
चुनावों के नतीजों का असर 14 मार्च को संसद सत्र शुरू होने पर दिखेगा क्योंकि इससे केंद्र सरकार का आत्मविश्वास और बढ़ेगा, वहीं विपक्षी दलों का हौसला थोड़ा पस्त होगा। दिल्ली में नगर निगम के चुनाव की तिथियों की घोषणा को फिलहाल टाल दिया गया है, लेकिन जब यह चुनाव होगा तब आम आदमी पार्टी का भी मनोबल ऊंचा रहेगा। दिल्ली में सभी नगर निगमों की बागडोर इस समय भाजपा के पास है। इस साल के अंत में मुंबई में बीएमसी का चुनाव होगा जहां भाजपा और शिवसेना आमने-सामने होंगी।
उत्तर प्रदेश में भाजपा के शानदार प्रदर्शन से जून-जुलाई में राष्ट्रपति पद पर राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के उम्मीदवार की जीत आसान हो जाएगी। नीतिगत मोर्चे की बात करें तो सरकार बिजली विधेयक और व्यक्तिगत डेटा सुरक्षा कानून जैसे सुधारों पर आगे बढ़ेगी। ओटीटी मंचों पर निगरानी बढ़ाने और देश भर के स्कूलों में समान यूनिफॉर्म जैसे सामाजिक एजेंडे को भी बल मिलेगा।कांग्रेस का प्रदर्शन बेहद शर्मनाक रहा है, जिसके बाद जवाबदेही और जिम्मेदारी के सवाल उठेंगे। पार्टी के कुछ वरिष्ठ नेताओं ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया कि कांग्रेस के अंदर से ही इसकी आवाज बुंलद होगी। पार्टी के 43 नेताओं का समूह नेतृत्व को जिम्मेदार ठहराने की मांग करते हुए 48 घंटे के भीतर बैठक कर सकता है। इस बीच पार्टी के नेता राहुल गांधी ने हार के पीछे की वजहों का आत्मनिरीक्षण करने की जरूरत बताई है।
दक्षिण के एक राज्य से आने वाले एक सांसद ने कहा, ‘कल तक गांधी परिवार के करीबी लोग ट्वीट कर कह रहे थे कि कांग्रेस पंजाब में पहले से कहीं ज्यादा सीटें जीतने जा रही है। उन्हें दिखा नहीं था कि क्या होने जा रहा है?’ केरल से पार्टी के सांसद बेनी बेहानन ने कहा, ‘अगर पार्टी हकीकत के लिए खुद को तैयार नहीं करती तो उसे भविष्य में भी चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा।’ राहुल गांधी ने ट्वीट किया, ‘जनादेश को विनम्रता से स्वीकार करता हूं। जीतने वालों को हमारी शुभकामनाएं। मैं कांग्रेस के सभी कार्यकर्ताओं और स्वयंसेवकों को उनके कठिन परिश्रम के लिए धन्यवाद देता हूं। हम इससे सीख लेंगे और देश की जनता के हित में काम करते रहेंगे।’पंजाब में हार के पीछे कांग्रेस ने पूर्व मुख्यमंत्री अमरिंद सिंह के सिर ठीकरा फोड़ा है।