मुंबई .: देश में क्रेडिट कार्ड कारोबार में बड़ा बदलाव आ सकता है। कहा जा रहा है कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) एनबीएफसी को अकेले क्रेडिट कार्ड जारी करने की मंजूरी देने की संभावनाएं तलाशने के लिए उनसे बातचीत कर रहा है, जो अपनी तरह का पहला कदम है। अब तक गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां
(एनबीएफसी) बैंकों के साथ मिलकर को-ब्रांडेड क्रेडिट कार्ड ही जारी कर सकती हैं।
केंद्रीय बैंक ने 7 जून 2004 को एक परिपत्र जारी किया था, जिसके 18 साल बाद यह कदम उठाया जा रहा है। इस परिपत्र में कहा गया, ‘जमाएं स्वीकार नहीं करने वाली कंपनी सहित कोई भी कंपनी इस गतिविधि (क्रेडिट कार्ड) से जुडऩा चाहती है तो उसे इस कारोबार में प्रवेश की विशेष स्वीकृति लेने के अलावा पंजीकरण प्रमाणपत्र की जरूरत होगी। इस मंजूरी के लिए कम से कम 100 करोड़ रुपये के अपने शुद्ध कोष की जरूरत होगी। इसके अलावा यह स्वीकृति इस संबंध में आरबीआई द्वारा समय-समय पर जारी शर्तों एवं नियमों पर भी निर्भर करेगी।’ इस परिपत्र में एनबीएफसी को क्रेडिट कार्ड जारी करने से रोका नहीं गया है। तब से अब तक उपभोक्ता ऋण परिदृश्य में काफी बदलाव आ चुका है और सूत्रों का कहना है कि अब इस क्षेत्र में बदलाव होने जा रहा है।
इस क्षेत्र में दोबारा रुचि इसलिए पैदा हुई है क्योंकि 7 जून 2004 के परिपत्र और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म एवं मोबाइल ऐप के जरिये डिजिटल ऋण पर कार्यदल की आरबीआई की रिपोर्ट के पर्यवेक्षणों पर पुनर्विचार किया जा रहा है। पिछले साल नवंबर में इस रिपोर्ट पर जनता की राय मांगी गई थी। इस रिपोर्ट में इस तथ्य की ओर ध्यान आकर्षित किया गया था कि ‘बिना क्रेडिट कार्ड वाले औपचारिक क्षेत्रों में नियोजित 12 करोड़ भारतीयों का आधार अभी इस्तेमाल नहीं किया गया है, इसलिए डिजिटल ऋण बाजार के लिए स्टार्टअप और वेंचर कैपिटल कंपनियां कतार में हैं।’ इस रुझान के मुताबिक ही 2020 में 44 फीसदी फिनटेक फंडिंग डिजिटल ऋण स्टार्टअप में गई। ज्यादा वित्त पोषण और डिजिटल ऋण बाजार में स्थापित और नई कंपनियों के बीच ज्यादा सहयोग से इस क्षेत्र का परिदृश्य सकारात्मक है।
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘बिना लाइसेंस के डिजिटल क्रेडिट कार्ड और कर्ज वितरण की मंजूरी दी जाए ताकि वित्तीय समावेशन को सुधारा जा सके।’ पिछले साल नवंबर में आरबीआई के ताजा मासिक बुलेटिन (जनवरी 2022) के मुताबिक क्रेडिट कार्ड 6.7 करोड़ (डेबिट कार्ड 93.4 करोड़ की तुलना में) हैं। हालांकि 55 करोड़ ऐसे ग्राहक हैं, जिनका क्रेडिट ब्यूरो रिकॉर्ड है। उद्योग के सूत्रों का कहना है कि देश में क्रेडिट कार्ड करीब तीन दशक से मौजूद होने के बावजूद चिंताजनक बात यह है कि चलन में मौजूद 6.7 करोड़ क्रेडिट कार्ड में से आधे से अधिक इस आधार में कार्डधारकों के उपखंड को जारी किए गए हैं। आसान शब्दों में कहें तो देश में सबसे अधिक आक्रामक खुदरा बैंक एक छोटे ग्राहक वर्ग को लक्षित कर रहे हैं।
इसके अलावा पिछले साल नीति आयोग और मास्टरकार्ड की संयुक्त रिपोर्ट में क्रेडिट कार्ड खंड में एनबीएफसी के प्रवेश का समर्थन किया गया था। इसमें कहा गया कि एनबीएफसी का प्रणाली के कुल ऋणों में 20 से 30 फीसदी हिस्सा है। लेकिन एनबीएफसी की क्रेडिट कार्ड बाजार में प्रवेश की बाधाओं के कारण सीमित पहुंच है, खास तौर पर सामान्य क्रेडिट कार्ड जारी करने में। उन्हें चार्ज कार्ड, डेबिट कार्ड और स्टोर्ड वैल्यू कार्ड को जारी करने से रोका जाता है।